19 में वाराणसी में जन्मे काशी बहादुर श्रेष्ठ की यह दूसरी कृति है। उन्होंने अपने मित्र गोपाल सिंह ‘नेपाली’ तथा अपने समकालीन रचनाकार प्रेमचंद से प्रेरित होकर हिंदी में कहानी लिखकर साहित्यिक जीवन का शुभारंभ किया। कथा के अतिरिक्त कविता के क्षेत्र में भी वे सक्रिय रहे। उनका महत्त्वपूर्ण अवदान उदय पत्रिका का प्रकाशन और संपादन रहा है। उदय के माध्यम से नेपाली साहित्य में अनेक रचनाकारों का आगमन हुआ। काशी बहादुर श्रेष्ठ का निधन 1989 में हुआ।
इस कृति के अनुवादक दुर्गाप्रसाद श्रेष्ठ काशी बहादुर श्रेष्ठ के सुयोग्य पुत्र हैं और उदय पत्रिका के संपादन के माध्यम से नेपाली साहित्यिक पत्रिका की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। आप हिंदी और नेपाली दोनों ही भाषाओं में लिखते हैं। आप वाराणसी में रहते हैं और कई सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। आपको कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।