डॉ. लक्ष्मी नारायण मित्तल आगरा विश्वविद्यालय के आवासीय संस्थान, के.एम. मुंशी विद्यापीठ में प्राध्यापक (भाषाविज्ञान) रहे। बाद में, मेरठ विश्वविद्यालय के सनातनधर्म कॉलेज में प्राचार्य रहे। लंदन विश्वविद्यालय के ‘सोआस’ से लिंग्विस्टिक्स में शोधकार्य किया। दस वर्ष तक मसूरी (उत्तराखंड) में ‘सिद्ध’ नामक अव्यावसायिक संस्था में रहे, जहाँ धर्मपाल जी से सान्निध्य रहा। समसामयिक विषयों में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहे। उन्होंने आयु के 85 साल पूरे कर लिये हैं और अभी भी लेखन में सक्रिय हैं। कई केंद्रीय मंत्रालयों की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य रहे। कई विश्वविद्यालयों की कार्य परिषद के भी सदस्य रहे। समय-समय पर एन.सी.ई.आर.टी., ‘नीपा’ व यू.जी.सी. के कार्यशालाओं में संदर्भ व्यक्ति की भूमिका निभाई।
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