डॉ. मनीष मोहन गोरे ने वनस्पति विज्ञान में परास्नातक के बाद शोध कार्य करते हुए डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। इसके अलावा विज्ञान लेखन, संपादन और लोकप्रियकरण में वह 1990 के दशक से सक्रिय हैं पर्यावरण, जैवविविधता, स्वास्थ्य और विज्ञान कथाओं से जुड़ी उनकी आठ लोकप्रिय विज्ञान पुस्तकें अब तक प्रकाशित हुई हैं। उन्होंने 400 से अधिक विज्ञान लेख और 15 विज्ञान कथाएँ लिखी हैं, जो देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए भी वे 100 से अधिक विज्ञान व तकनीक कार्यक्रमों के आलेख लिख चुके हैं। विज्ञान प्रसार (डी.एस.डी.) में अपनी सेवा के दौरान उन्होंने 100 से अधिक विज्ञान पुस्तकों के प्रकाशन का कुशलतापूर्वक संयोजन किया है। देश के पहले साइंस चैनल डीडी साइंस के लिए उन्होंने आधे घंटे के चार विज्ञान कार्यक्रमों के निर्माण का समन्वय भी किया है। विज्ञान लोकप्रियकरण में योगदान दृष्टिगत निस्केयर, सी.एस.आई.आर., राजभाषा विभाग और केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा पुरस्कृत।
संप्रति : निस्केयर, सी.एस.आई.आर में वैज्ञानिक।
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