सुपरिचित कवि, नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार और आलोचक प्रताप सहगल की डायरी लेखन, यात्रा-वृत्तांत तथा आलोचना आदि विधाओं पर भी समान पकड़ रही है; अनुवाद और संपादन कर्म से भी जुड़े रहे हैं। सन् 70 के दशक से 2010 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज में प्रोफेसर रहे सहगल साहब ने बाल साहित्य लेखन में भी उल्लेखनीय और प्रभूत योगदान दिया है। लेखक की 50 से अधिक प्रकाशित कृतियों में से तीन मूल तथा एक अनूदित कृति न्यास से प्रकाशित हैं। ‘मेरे श्रेष्ठ लघु नाटक’ (मूल) तथा ‘प्रबोधचंद्रोदय’ (अनूदित) नाट्य विधा की दो महत्वपूर्ण कृतियाँ न्यास से ही प्रकाशित हैं। नाटकों पर लेखक के विशेष काम रहे हैं तथा अनेक नाटकों के रेडियो-दूरदर्शन से प्रसारण भी हुए हैं; विभिन्न शहरों में नाटकों के निरंतर मंचन भी हो रहे हैं, होते रहे हैं। अनेक रचनाओं के देश-विदेश की दसाधिक भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित; रचनाएँ पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित। हिंदी अकादमी के ‘साहित्यकार सम्मान’ (2005) समेत अन्य अनेक पुरस्कार-सम्मान से भी सम्मानित।
प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत न्यास से यात्रा विधा में प्रकाशित उनकी प्रथम कृति है, किंतु यात्रा संस्मरण पर अन्य पुस्तकें अन्यत्र भी प्रकाशित हुए हैं। संप्रति, दिल्ली में रहकर स्वतंत्र लेखन।
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