असमिया और हिंदी, दोनों भाषाओं की समादृत लेखिका राजलक्ष्मी खाउंद ने अपने मूल लेखन और अनुवाद के माध्यम से दोनों भाषाओं के बीच सेतु-निर्माण का महत कार्य किया है। लेखिका ने अनेक मूल असमिया कृतियों का हिंदी अनुवाद किया है, जिनमें लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ की कृति ‘बुढ़ी आइर साधु’ तथा सत्येंद्रनाथ बरकटकी की ‘पर्बतीया साधु’ का हिंदी अनुवाद मुख्य है। स्वामी विवेकानंद की कृति ‘कॉल टू द नेशन’ का उन्होंने असमिया में अनुवाद किया है। असम से निकलने वाले अनेक मुख्य अखबारों, ‘हिंदी सेंटिनल’ समेत, में नियमित रूप से लेखन करने वाली लेखिका की एक पुस्तक ‘एकात्म मानवतावाद’ असम प्रकाशन परिषद द्वारा प्रकाशित है। ‘परिषद’ से ही दीनदयाल उपाध्याय रचित संपूर्ण वाङ्ममय के कुछ खंडों का उन्होंने असमिया में अनुवाद भी किया है। समाज शास्त्र से स्नातकोत्तर लेखिका अनेक सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों से भी जुड़ी हुई हैं।
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