स्त्री-इतिहास विशेषज्ञ, सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता, कलाओं की पारखी एवं लेखिका। कार्यक्षेत्र सार्क देशों तक विस्तृत है। इनका विश्वास है कि स्त्रियों की पूर्ण भागीदारी एवं उनकी सक्रिय भूमिका समाज को सशक्त करती है।
श्रीमती मोदी का जन्म 1955 में मोदी नगर के औद्योगिक परिवार में हुआ। उनकी शिक्षा श्रमिकों के बच्चों के साथ मोदी नगर में, और आदिवासियों के बच्चों के साथ ग्वालियर में हिन्दी माध्यम से हुई थी। ज़मीन से जुड़ी होने के कारण अपनी माता श्रीमती दयावती मोदी से प्रेरित होकर उन्होंने 1984 में ‘दिव्य छाया ट्रस्ट’ की स्थापना की। यह संस्था निम्न आय वर्ग की कम्यूनिटी के साथ काम कर रही है। इनकी दूसरी संस्था ‘स्त्री-शक्ति : द पैरलल फ़ोर्स’—1998, स्त्री सशक्तीकरण को लेकर सक्रिय है जो आधुनिक युग की स्त्रियों को स्त्री के इतिहास को जानने के लिए प्रेरित करती है। इस सन्दर्भ में विदुषी विद्योत्तमा को भी प्रकाश में लाया जाएगा, जोकि सिर्फ़ कालिदास की प्रेरणा ही नही थीं, बल्कि अभिन्न रचयिता थीं।
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