आप उर्दू के प्रसिद्ध शायर मजाज़ की बहन थीं। 1943 में आपका विवाह अपने समय के मशहूर शायर जाँ निसार अख़्तर से हुआ। प्रसिद्ध लेखक, शायर, गीतकार जावेद अख़्तर और सलमान अख़्तर आपकी संतान हैं। आप एक लोकप्रिय शिक्षक और प्रतिभाशाली रचनाकार थीं। आपने अपने पति को जो पत्र लिखे, उन्हें उर्दू साहित्य में एक ख़ास जगह मिली। आपने इस अहम काम को नौ साल की अवधि में अंजाम दिया, जिसे ‘हर्फ़े-आश्ना’ और ‘ज़ेरे-लब’ शीर्षक से प्रकाशित किया गया। हिन्दी में आपके पत्रों की पुस्तक ‘तुम्हारे नाम’ शीर्षक से प्रकाशित है जो बेहद लोकप्रिय पुस्तकों में से एक है। आपके निबन्धों का एक छोटा-सा संग्रह ‘अन्दाज़-ए-नज़र’ भी प्रकाशित है।
आपका निधन सन् 1953 में लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ।
View cart “Tumhare Naam” has been added to your cart.