जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से जर्मन साहित्य में और यूनिवर्सिटी ऑफ़ हाइडेलबर्ग से इंडोलॉजी तथा हिन्दी साहित्य में शोध करने के बाद लम्बे समय तक यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले में हिन्दी और साउथ एशियन स्टडीज़ की प्रोफ़ेसर रहीं। उसके बाद येल यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ़ रिलीजियस स्टडीज़ के अन्तर्गत चन्द्रिका एंड रंजन टंडन प्रोफ़ेसर ऑफ़ हिन्दू स्टडीज़ के पद पर कार्य किया। ‘दि नेशनलाइज़ेशन ऑफ़ हिन्दू ट्रेडिशंस : भारतेन्दु हरिश्चन्द्र एंड नाइन्टींथ सेंचुरी बनारस’, ‘पोएटिक्स, प्लेज़र एंड परफ़ॉर्मेंसेज़ : दि पॉलिटिक्स ऑफ़ मॉडर्न इंडियन थियेटर’, ‘हिन्दू पास्ट्स : वीमेन, रिलीजन, हिस्ट्रीज़’ उनकी चर्चित पुस्तकें हैं।
सम्पादित पुस्तकों की लम्बी फेहरिस्त में से हाल के वर्षों की पुस्तकें हैं : ‘रिलीजियस इंटरैक्शंस इन मुग़ल इंडिया’, ‘बालाबोधिनी’ (हिन्दी में), ‘कैम्ब्रिज कॉम्पैनियन टु मॉडर्न इंडियन कल्चर’, ‘हिन्दी मॉडर्निज़्म : रीथिंकिंग अज्ञेय एंड हिज़ टाइम्स’ इत्यादि।
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