लेखक डॉ. साँवरमल सांगानेरिया एक अथक यायावर हें। पूर्वोत्तर में, ब्रहमपुत्र के किनारे पैदा होने के नाते इनके लेखन में भी ब्रहमपुत्र-सी रवानी भरी हुई है। ब्रहमपुत्र-सी ही प्रवाहपूर्ण और गतिमान यायावरी ने उनसे पूर्वोत्तर-यात्रा पर छह पुस्तकों का प्रणयन करवा लिया। ‘ब्रहमपुत्र के किनारे किनारे’ ( भारतीय ज्ञानपीठ), ‘अरुणोदय की धरती पर’ (अरुणाचल की यात्रा), ‘फेनी के इस पार’ (त्रिपुरा की यात्रा कथा) तथा ‘मेघों के देस में’ (मेघालय की यात्रा कथा) लेखक की अन्य महत्वपूर्ण यात्रा पुस्तकें हैं।
सन् 2012 में जे.जे.टी. विश्वविद्यालय द्वारा मानद डी. लिट् की उपाधि प्राप्त डॉ. सांगानेरिया हिंदी के अलावा असमिया, बाँग्ला और अंग्रेजी भाषाओं के भी जानकार हैं। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा से ‘कोविद’ की उपाधि प्राप्त लेखक को अनेक पुरस्कार-सम्मान प्राप्त हैं, जिनमें 2019 में महाराष्ट्र सरकार का ‘साने गुरुजी राष्ट्रीय जीवन गौरव पुरस्कार’ भी शामिल है। लेखक की लगभग 25 वर्षो की लेखन-यात्रा में प्रस्तुत पुस्तक उनकी सातवीं कृति है। कुछ वर्ष मुंबई में रहे। संप्रति, गुवाहाटी में रहकर स्वतंत्र लेखन कर रहे हें।
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