Shanta Kumar

Shanta Kumar

शान्ता कुमार

जन्म : सन् 1934।

शान्ता कुमार का जन्म सन् 1934 में कांगड़ा जिले के एक गाँव में हुआ। आपने माँ की प्रेरणा व संरक्षण में आरंभिक शिक्षा प्राप्त की। फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रभाव में आए और सत्तरह वर्ष की आयु में ही घर-बार छोड़कर प्रचारक बन गए। तत्पश्चात् जम्मू-कश्मीर आंदोलन में सत्याग्रह किया और उन्नीस वर्ष की आयु में ही आठ मास जेल में रहे। 1972 में हिमाचल विधानसभा के सदस्य चुने गए। आपातकाल के दौरान 1975 में उन्नीस मास की जेल-यात्रा की। शान्ता कुमार हिमाचल प्रदेश के दो बार मुख्य मंत्री भी रह चुके हैं। वर्तमान में शान्ता कुमार केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री हैं।

शान्ता कुमार सफल राजनेता होने के साथ-साथ श्रेष्ठ साहित्यकार भी हैं। विचारोत्तेजक लेखों, संस्मरणों, कविताओं और उपन्यासों के बारे में भी उन्होंने काफी कुछ लिखा है। स्वयं राजनीति के अंग होने के कारण उन्हें इस दुनिया की विचित्र राजनीति के संबंध में काफी ज्ञान है।

कृतियाँ :

उपन्यास : मृगतृष्णा, मन के मीत, लाजो, क़ैदी, वृन्दा।

कहानी-संग्रह : ज्योतिर्मयी, धरती है बलिदान की।

कविता-संग्रह : मैं विवश बंदी, तुम्हारे प्यार की पाती।

शौर्य गाथाएँ : हिमालय पर लाल छाया।

संस्मरण : एक मुख्यमंत्री की जेल डायरी, दीवार के उस पार।

जीवनी : राजनीति की शतरंज, विश्वविजेता विवेकानंद।

निबंध : क्रांति अभी अधूरी है, मंजिल अभी दूर है।

वैचारिक साहित्य : बदला युग : बदलते चिंतन।

अन्य : शान्ता कुमार : समग्र साहित्य (तीन खंड)।

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