Shyamal Gangopadhyay

Shyamal Gangopadhyay

श्यामल गंगोपाध्याय (1933-2001) का जन्म बंगाल (बाङ्लादेश) के खुलना नामक स्थान पर हुआ। जीवन के कई नाटकीय मोड़ों एवं चुनौतीपूर्ण पड़ावों को पार कर एक मजदूर, स्कूली शिक्षक, पत्रकार और आख़िरकार एक साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित हुए।

उनकी पहली कहानी 1952 में प्रकाशित हुई। इसके बाद उन्होंने विपुल लेखन कार्य किया। उन्होंने बैकुंठ पाठक उपनाम से भी कई कृतियाँ लिखी हैं। उनके बारह कहानी-संग्रह और साठ से भी अधिक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें अभिशप्त और अनुतप्त मानव जीवन की मार्मिक गाथाएँ कही गई हैं। श्यामल दा अपनी रचनाओं में निकट अतीत या इतिहास की रूमानियत को भी पात्रता प्रदान करते हैं ताकि वे मनुष्य की यात्रा एवं यातना के साक्षी बने रहें। व्यंग्य-मुखर कृतियों द्वारा अपनी एक विशिष्ट शैली के कारण वे बाङ्ला के शीर्षस्थ रचनाकारों में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं। भुवालका, बिभूतिभूषण, कथा, मतिलाल तथा शिरोमणि आदि पुरस्कारों से सम्मानित श्री गंगोपाध्याय को दाराशिकोह (ऐतिहासिक उपन्यास, दो खंडों में प्रकाशित) के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। उनकी कुछ विशिष्ट कृतियों में उल्लेख्य हैं – कुबेरेर विषय आशय अलीक बाबू, सती असती:; स्वर्गेरपाशेर बाड़ी तारशानाई आदि।

मूल बाङ्ला से इस उपन्यास का हिंदी अनुवाद ममता खरे ने किया है। आपने बाङ्ला की कई चर्चित कृतियों का अनुवाद किया है।

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