तेलगू उपन्यास के विकास क्रम में श्रीदेवी स्वायंत्र्योत्तर काल की महत्वपूर्ण उपन्यास-लेखिका के रूप में जानी जाती है। कथ्य एवं शिल्प की नूतनता तेलगू उपन्यास में जिन महत्वपूर्ण रचनाकारों के सद्प्रयास से आई, उनमें इनका नाम आदर से लिया जाता है। स्त्री-पुरुष संबंधों के मनोविज्ञान और मानवीय आचारों के उतार-चढ़ाव को बड़ी सूक्ष्मता से अपनी रचनाओं में उकेरती रही हैं। तेलगू कथा साहित्य की श्रीवृद्धि में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
इस उपन्यास का तेलगू से हिंदी अनुवाद हिंदी के सुपरिचित लेखक बालशौरी रेड्डी ने किया है। इन्होंने इस पुस्तक की भूमिका भी लिखी है। अनुवादक की मातृभाषा तेलगू है, मगर हिंदी में इनके संपादन, अनुवाद और मूल लेखन का विपुल भंडार उपलब्ध है।
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