Aacharya Hazari Prasad Dwivedi : Kuch Sansmaran
₹500.00 ₹400.00
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Author: Kamal Kishore Goyenka
Pages: 294
Year: 2018
Binding: Hardbound
ISBN: 9789383234585
Language: Hindi
Publisher: Kitabghar Prakashan
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी : कुछ संस्मरण
हजारीप्रसाद द्विवेदी वस्तुतः हिंदी भाषा और साहित्य के आचार्य थे। पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत, हिंदी और बांग्ला आदि भाषाओं के तलस्पर्शी ज्ञान ने उनके चिंतन व सृजन को विलक्षण आयाम प्रदान किए। शांति निकेतन से शिवालिक के बीच विस्तृत आचार्य द्विवेदी को कीर्तिकथा हिंदी का गौरव है। आचार्य द्विवेदी के जीवन और कृतित्व पर प्रभूत मात्रा में लिखा गया है। उन्हें आकाज्ञाधर्मी गुरु और व्योमकेश दरवेश कहकर सखोंधित किया गया। ‘आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी : कुछ संस्मरण’ इस संदर्भ में एक स्थायी महत्व की पुस्तक है।
आचार्य द्विवेदी पर विख्यात व्यक्तित्वों द्वारा लिखे गए महत्वपूर्ण संस्मरण की इस पुस्तक का संपादन सुप्रसिद्ध साहित्यकार कमलकिशोर गोयनका ने किया है। पुस्तक को भूमिका में वे लिखते हैं, ‘आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की किसी लेखक द्वारा जीवनी लिखने या उनके जीवन को जानने को जिज्ञासा जब भी पाठकों के मन में उत्पन्न होगी तब-तब ये संस्मरण उसे आत्मीय-जीवंत एवं सार्थक प्रतीत होने के साथ उनको स्मृति को अक्षुण्ण बनाने में सहायक सिद्ध होगे।’
इस पुस्तक को विशेषता यह है कि द्विवेदी जी का संस्मरणात्मक मूल्यांकन प्रायः सभी पक्षों से किया गया है। इस अर्थ में इसे आलोचना की आंख से भी पढ़ा जा सकता है। समग्रतः एक विराट व्यक्तित्व और उसके कालजयी कृतित्व का समवेत संस्मरणात्मक अनुशीलन। पठनीय व संग्रहणीय पुस्तक।
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Binding | Hardbound |
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Language | Hindi |
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Publishing Year | 2018 |
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कमल किशोर गोयनका
डॉ. कमल किशोर गोयनका ( 11 अक्टूबर, 1938, बुलंदशहर) ‘प्रेमचंद स्कॉलर’ के रूप में विख्यात हैं। वे दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए., एम.फिल., प्रेमचंद पर पीएच.डी. एवं डी.लिट्. दिल्ली के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से अवकाश प्राप्त भारत के एकमात्र शोधार्थी हैं। वे केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के उपाध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा वे दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी अनुसंधान परिषद के आजीवन सदस्य हैं। उनकी सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। वे हिंदी अकादमी (दिल्ली), भारतीय भाषा परिषद (कोलकाता), उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी, केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा), व्यास सम्मान, हिंदी प्रचारिणी सभा (मॉरिशस) से पुरस्कृत होने के साथ ही प्रेमचंद शताब्दी वर्ष 1980 से अब तक विभिन्न विश्वविद्यालयों, अकादमियों, साहित्यिक संस्थाओं में सम्मानित हैं।
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