Avadharnaon Ka Sankat

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Avadharnaon Ka Sankat

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250.00 210.00

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250.00 210.00

Author: Puran Chandra Joshi

Availability: 5 in stock

Pages: 176

Year: 2009

Binding: Hardbound

ISBN: 9788171784325

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

अवधारणाओं का संकट

यह निबंध संकलन बदलते हुए वर्तमान भारत को समझने के लिए एक नई बहुआयामी दृष्टि की खोज में पाठकों को भागीदार बनाता है। डॉ. पूरनचंद्र जोशी के मत में यदि ‘संकट’ की अवधारणा बदलते भारत को समझने की एक मूल कुंजी है तो ‘अवधारणाओं के संकट’ के रूप में इस संकट की व्याख्या राजनीति, अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र के लिए जितनी प्रासंगिक है उतनी ही साहित्य, कला और संस्कृति के लिए। लेखक अवधारणाओं के संकट की व्याख्या को पुरानी और नई अवधारणाओं के तीव्र से तीव्रतर होते हुए द्वंद्वों तक ही सीमित नहीं रखता।

लेखक की राय में, संकट को सचमुच में गंभीर बनाती है पश्चिम से बिना किसी नीर-क्षीर विवेक के अवधारणाओं को उधार लेने की या उनकी बिना जाँच-पड़ताल के आयात करने की देश के नए बुद्धिजीवियों की प्रवृत्ति, जो उतनी ही खतरनाक है जितनी मृतप्राय अवधारणाओं से चिपके रहने की अंधप्रवृत्ति। दोनों प्रवृत्तियाँ भारतीय नवजागरण की मुख्य देन ‘मानसिक स्वराज’ के लक्ष्य को नकारती है। डॉ जोशी के मत में, हम जिस संक्रांति काल से गुजर रहे हैं उसमें सांस्कृतिक नवोदय की सम्भावना और नवऔपनिवेशिक मानसिक दासता के खतरे एक साथ दिखाई देते हैं जो अवधारणाओं के स्वायत्त-सृजन या अंधानुकरण के प्रश्नों से जुड़े हैं।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2009

Pulisher

Language

Hindi

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