Ajneya Sanchayita

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Ajneya Sanchayita

Ajneya Sanchayita

850.00 720.00

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850.00 720.00

Author: Nandkishore Acharya

Availability: 5 in stock

Pages: 495

Year: 2001

Binding: Hardbound

ISBN: 8126703792

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

अज्ञेय संचयिता
अगर स्वतंत्राता को बीसवीं शताब्दी की एक बीज अवधारणा माने तो जिन मूर्धन्य और कालजयी लेखकों ने इस अवधारणा को अपने सृजन, विचार और आयोजन का केन्द्र बनाया उनमें अज्ञेय का स्थान ऊँचा और प्रमुख हैं हिन्दी को उसकी आधुनिकता और भारतीय स्वरूप देने में भी अज्ञेय की भूमिका केन्द्रीय रही है। उनकी यह शीर्षस्थानीयता और केन्द्रस्थानीयता उन्हें न सिर्फ हिन्दी बल्कि समूचे भारतीय साहित्य का एक क्लैसिक बनाती है। स्वतंत्राता और अपने आत्मबोध के अन्वेषण और विन्यास के लिए अज्ञेय ने साहित्य की शायद ही कोई विधा होगी जिसमें न लिखा हो। उन सभी में अर्थात् कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना, यात्रावृत्तान्त, ललित निबनध, डायरी, सम्पादन में उनका कृतित्व श्रेष्ठ कोटि का है।

हिन्दी में उनसे पहले और बाद में भी कोई और साहित्यकार नहीं हुआ है जो इतनी सारी विधाओं में सक्रिय रहा है और जिसने उनमें से हरेक में शीर्षस्थानीयता हासिल की हो। हिन्दी में आधुनिकता, नयी कविता और प्रयोगवाद आदि अनेक प्रवृत्तियों के अज्ञेय प्रमुख स्थपित और अवधारक भी रहे हैं। उनके विपुल और विविध कृतित्व से यह पाठमाला उनकी कुछ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण, विचारोत्तेजक और प्रतिनिधि रचनाओं को एकत्रा करने का यत्न है। इसके पीछे यह विश्वास है कि यह संचयन अज्ञेय के संसार के प्रति नई जिज्ञासा उकसाकर पाठकों को उनके विपुल साहित्य और विचार के साक्षात्कार और रसास्वादन के लिए प्रेरित करेगा।

अज्ञेय-साहित्य के मर्मज्ञ और प्रसिद्ध-आलोचक नन्दकिशोर आचार्य ने पूरी जिम्मेदारी, समझ और रसिकता के साथ यह संचयन किया है जिससे इस पाठमाला का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।

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Binding

Hardbound

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Publishing Year

2001

Pulisher

Language

Hindi

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