- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
अनासक्त आस्तिक : जैनेन्द्र कुमार की जीवनी
जैनेन्द्र कुमार हिन्दी के केवल मूर्धन्य कथाकार ही नहीं है अपितु प्रखर राष्ट्रवादी चिन्तक-विचारक भी है। वे हिन्दी भाषा में सोचने-विचारने वाले अन्यतम व्यावहारिक भारतीय दार्शनिक भी हैं तो भारत सहित वैश्विक राजनीति पर गहरी दृष्टि रखनेवाले प्रबुद्ध राजनैतिक विशेषज्ञ भी। वे स्वाधीनता आन्दोलन के तपोनिष्ठ सत्याग्रही भी रहे जिन्होंने स्वाधीनता मिलने के बाद भी अपने समग्र जीवन और लेखन क्रो सत्याग्रह बनाया। अपने पूरे जीवन में अनास्था रहते हुए उन्होंने जो लिखा और जिया वह हमेशा एक नयी राह की खोज का कारण बना। कहानी और उपन्यास को नयी भाषा, शिल्प तथा अधुनातन प्रविधियों में ढालकर जैनेन्द्र ने उन विषयों को प्रमुखता दी, जिन पर विचार करने का साहस पहले न किया जा सका। इसमें प्रमुखता से वह स्त्री उभरी, जिसे सदियों से उत्पीडित किया जाता रहा है। अपने दर्शन में आत्म को प्रतिष्ठित करनेवाले, विचारों में भारतीय-राष्ट्र-राज्य को अधिकाधिक सर्वोदय में देखने वाले तथा जीवन में एक गृहस्थ संन्यासी का आदर्श प्रस्तुत करनेवाले जैनेन्द्र कुमार का महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, विनोबा भावे, राधाकृष्णन, जयप्रकाश नारायण, इन्दिरा गांधी आदि राष्ट्रीय नेताओं से सीधा संवाद था पर यह संवाद राष्ट्रीय हितों के लिए था, निजी स्वार्थों के लिए नहीं।
ऐसे जैनेन्द्र कुमार के विराट् व्यक्तित्व को उनकी जीवनी ‘अनासक्त आस्तिक’ में देखने और उनके क्रमिक विकास को परखने का एक बडा प्रयत्न हैं, जो निश्चय ही उन्हें नये सिरे से समझने में सहायक होगा। कहना न होगा कि जैनेन्द्र साहित्य के मर्मज्ञ आलोचक ज्योतिष जोशी द्वारा मनोयोग से लिखी गयी यह जीवनी पठनीय तो है ही, संग्रहणीय भी है।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
Reviews
There are no reviews yet.