Ank Jyotish

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150.00 149.00

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Author: Radhakrishna Shrimali

Availability: 5 in stock

Pages: 160

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9788181331229

Language: Hindi

Publisher: Manoj Publications

Description

अंक ज्योतिष

दो शब्द

मेरे परम प्रिय पाठक !

शुभकामनाओं के लिए साधुवाद।

ज्योतिष जगत के अथाह समुद्र में फलकथन रूपी अनेक रत्न हैं। उनमें से सरलतम, सहज समझ सकने योग्य रत्न को ढूंढ निकालना एक टेढ़ी खीर है। अनेकों ने इस समुद्र को खंगालने का अनथक प्रयास किया है। दुस्साहस मैंने भी किया है। कितना सफल या कितना विफल रहा, इसका निर्णय तो प्रबुद्ध वर्ग, जागरूक पाठक वर्ग पर छोड़ता हूं।

फलकथन की अनेकानेक प्रचलित-अप्रचलित विधियों से मैं भली प्रकार परिचित हूं, चाहे वह सामुद्रिक शास्त्र हो या जन्मांग चक्र, मुखाकृति विज्ञान, अंग स्फुरण, रमल, ताश के पत्ते, हस्ताक्षर विज्ञान, पांव की रेखाएं, अंक विज्ञान हो अथवा पांसे। हर विधि को सत्यापन की कसौटी पर कसा है। पीढ़ी दर पीढ़ी ज्योतिष प्रिय विषय रहा है। जीवन का एक बहुत बड़ा भाग मैंने खर्च किया है इस ओर। मेरे विस्तृत संग्रहालय में हजारों गणमान्यों की कुण्डलियां संग्रहीत हैं। संग्रह में आम व्यक्ति, राजनीतिज्ञ, इतिहास पुरुष, विज्ञानवेत्ता, धार्मिक-अधार्मिक, धनी-निर्धन, अपराधी, पुरातत्ववेत्ता, लेखक, प्रशासक, प्रकाशक, आस्तिक-नास्तिक, चोर-डाकू, नौकरीपेशा, फिल्‍मी कलाकार, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, अध्यापकों की कुण्डलियां हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि मेरा साबका हर वर्ग के लोगों से निकट का, निकटतम रहा है। सभी स्तर व सभी वर्ग के लोगों से संपर्क है।

लम्बी मंजिल तय करने के बाद अन्ततोगत्वा यही पाया है कि अंक-विज्ञान सत्यापन के कहीं अधिक निकट है, बोधगम्य व सरल है। अंक ज्योतिष आज विदेशों में खूब फल-फूल रहा है। प्रचार-प्रसार हो रहा है। नवीनतम अनुसंधान इस पर हो रहे हैं। तथ्य व आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं। अस्तु !‌ इस ओर मेरा प्रयास पुस्तकाकार रूप में आप पा रहे हैं। मात्र 1 से 9 तक के अंकों के आधार पर आप अपना भूत-वर्तमान और भविष्य जान पाते हैं। अधिकारी कितना अनुकूल यो प्रतिकूल रहेगा ? कार्य स्थल शुभ है अथवा अशुभ, कार्य संस्थान का नाम कितना अनुकूल है ? अनुकूल है या नहीं, मात्र अंकों से जान जाते हैं। है न अद्भुत बात ! हम 27 नक्षत्रों की गणना करते हैं। 9 ग्रह, वर्ष में 365 दिन, महीने में 30 दिन, 7 दिन का सप्ताह, दूरी का मापन हो या वजन का, लेन-देन हो, वेतन पाना हो या किराये का लेन-देन हो, सब कुछ अंकों का मायाजाल है। आंग्ल भाषा में 26 वर्ण हैं। योग 27 हैं, करण 11 हैं, 16 तिथियां है, 2 पक्ष हैं, 12 महीने हैं, 6 ऋतुएं हैं तथा 7 वार हैं। सभी का आधार अंक हैं।

वस्तुतः ज्योतिष रूपी वट वृक्ष की प्रधान शाखा यदि कोई है तो वह अंक हैं। आज यह विज्ञान पश्चिम के देशों में फल-फूल रहा है, फैलता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से भारतीय विद्वानों ने पुनः इस ओर ध्यान देना प्रारम्भ किया, कुछ पुस्तकें बाजार में आईं। यत्र-तत्र, यहां-वहां, इधर-उधर कुछ खोजें, नवीन अनुसंधान हो रहे हैं। ज्योतिष सम्मेलनों में जम कर अंक विज्ञान पर चर्चाएं हो रही हैं। माना कि यह विषय थोड़ा कठिन है। मार्ग दुरुह है, मगर थोड़ा सा अभ्यास यदि कर लें तो इसे समझना कठिन नहीं है। जिस प्रकार हथेली पर सरसों उग नहीं सकती, ठीक उसी प्रकार श्रम रहित होकर दैवज्ञ नहीं बना जा सकता।

मैंने खूब सोचा-समझा और तब विचार उठा कि मैं अपने पाठकों को कोई सरल बोधगम्य पुस्तक दूं। ऐसी विधि कि सामान्य पढ़ा-लिखा, कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी इसे समझ सके और गणना कर लाभ उठा सके। मात्र उसे अपनी जन्मतिथि ज्ञात होनी चाहिए। इसी संदर्भ में यह पुस्तक आपके हाथ में है।

श्री विनय गुप्ता जी से इस पर गहरी चर्चा हुई और लेखन का उत्तरदायित्व मुझे सौंपा गया। इस पुस्तक के सुन्दर कलेवर, रूप-सज्जा, सुन्दर छपाई, अविलंब प्रकाशन के लिए मैं व्यक्तिगत रूप से भाई श्री विनय गुप्ता का हृदय से आभारी हूं। इन्हीं के आग्रह, रूचि, ललक चाह से यह पुस्तक आप तक पहुंची है। पुस्तक में कहीं भी असुविधा हो, भ्रान्ति हो, जिज्ञासा समझ में फेर या समाधान की अपेक्षा हो, तो आप निःसंकोच मुझसे सीधे संपर्क करें। आदी हूं मैं ऐसे पत्रों के उत्तर देने का और फिर यह मेरा नैतिक दायित्व भी तो है।

– डॉ. राधाकृष्ण श्रीमाली

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Paperback

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Language

Hindi

Publishing Year

2022

Pulisher

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