Anushangik : Mahasamar-9 (1 to 9 Volume Set)

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Anushangik : Mahasamar-9 (1 to 9 Volume Set)

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399.00 335.00

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Author: Narendra Kohli

Availability: 10 in stock

Pages: 272

Year: 2015

Binding: Paperback

ISBN: 9789350728994

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

अनुषांगिक : महासमर-9
‘‘रजत संस्करण’’ का यह नवं और विशेष खंड है। इसे ‘अनुषंगीक’ कहा गया, क्योंकि इसमें ‘महासमर’ की कथा नहीं, उस कथा को समझने के सूत्र हैं। हम इसे ‘महासमर‘ का नेपथ्य भी कह सकते हैं। ‘महासमर’ लिखते हुए, लेखक के मन में कौन-कौन सी समस्याएँ और कौन-कौन से प्रश्न थे ? किसी घटना अथवा चरित्र को वर्तमान रूप में प्रस्तुत करने का क्या कारण था ? वस्तुतः यह लेखक की सृजन प्रक्रिया के गवाक्ष खोलने जैसा है। ‘महाभारत’ की मूल कथा के साथ-साथ लेखक के कृतित्व को समझने के लिए यह जानकारी भी आवश्यक है। यह सामग्री पहले ‘जहां है धर्म, वही है जय, के रूप में प्रकाशित हुई थी। अनेक विद्वानों ने इसे ‘महासमर’ की भूमिका के विषय में देखा है।

अतः इसे ‘महासमर’ के एक अंग के रूप में ही प्रकाशिक किया जा रहा है। प्रश्न ‘महाभारत’ की प्रासंगिकता का भी है। अतः उक्त विषय पर लिखा गया यह निबंध , जो ओस्लो (नार्वे) में मार्च २००८ की एक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में पढ़ा गया था, इस खंड में इस आशा से सम्मिलित कर दिया गया है, कि पाठक इसके माध्यम से ‘महासमर’ की ही नहीं ‘महाभारत’ को भी सघन रूप से ग्रहण कर पाएंगे।

अन्त में ‘महासमर’ के पात्रों का संक्षिप्त परिचय है। यह केवल उन पाठकों के लिए है, जो मूल ‘महाभारत’ के पात्रों से परिचित नहीं है। इसकी सार्थकता अभारतीय पाठकों के लिए भी है। इस प्रकार यह खंड ‘अनुषांगिक’ इस कृति को पाठकों के लिए और भी सम्पूर्ण बना देता है।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2015

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