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Anuvad Prakriya Aur Paridrashya
₹495.00 ₹395.00
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Author: Ritarani Paliwal
Pages: 204
Year: 2018
Binding: Hardbound
ISBN: 9788181430854
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
अनुवाद प्रक्रिया और परिदृश्य
हिन्दी में अनुवाद सम्बन्धी चिन्तन और चर्चा को प्रकाश में लाने वालों में प्रो. रीतारानी पालीवाल एक अग्रगण्य नाम है। पिछले ढाई दशक से वह हमारे समाज में अनुवाद-कर्म की स्थिति एवं आवश्यकता के महत्त्वपूर्ण एवं विवादास्पद मुद्दों को निरन्तर रेखांकित करती रही हैं।
आधुनिक भारतीय नवजागरण के साथ ही हिन्दी में अनुवादों का जो वैविध्यपरक उत्साह आया था, वह लगभग एक शताब्दी तक कायम रहकर ढीला होने लगा। आज़ादी के बाद भाषाई औपनिवेशिकता के चलते भारतीय जीवन में अनुवाद के महत्त्व एवं आवश्यकता को सही मायने में ग्रहण नहीं किया गया। फलतः हमारे यहाँ अनुवाद का वैसा सार्थक उपयोग नहीं हो सका, जैसा किसी भी स्वाधीन समाज में होता है। हमारी भाषा, साहित्य, तकनीकी एवं जीवन पद्धति एक अनुगामी साँचे में ढलती गयी।
अनुक्रम
एक
दो
तीन
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
रीतारानी पालीवाल
जन्म : 3 सितम्बर 1949, खैरगढ़, मैनपुरी, उ.प्र.।
शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी, अंग्रेजी) नाटक और रंगमंच पर हिन्दी में पीएच.डी., डी.लिट.। विशेष अध्ययन चिन्तन के क्षेत्र-रंगमंच, हिन्दी भाषा और साहित्य, तुलनात्मक साहित्य, अनुवाद। जापानी थिएटर (काबुकी, नोह, बुनाराकु) का विशेष अध्ययन। जापानी नाटक और रंगमंच, साहित्य और संस्कृति पर हिन्दी में लेखन, जापानी साहित्य से हिन्दी में अनुवाद।
सम्प्रति : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग (मानविकी विद्यापीठ) में प्रोफेसर।
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