Azadi Ki Vidambna

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Azadi Ki Vidambna

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750.00 600.00

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750.00 600.00

Author: Vishnuchandra Sharma

Availability: 5 in stock

Pages: 320

Year: 2020

Binding: Hardbound

ISBN: 9789389220384

Language: Hindi

Publisher: Aman Prakashan

Description

आजादी की विडम्बना

‘विडम्बना ये थी कि घर के अंदर आजादी के बाद निराशा, आत्महत्या और भविष्य से उदासीनता देख रहा था। बहुत कुछ यही स्थिति पिता के जीवन में भी सामने आ रही थी। वे न सत्ता के हिस्से थे न कांग्रेस दल की गिरावट के हिस्सेदार थे। हर नेता लखनऊ से या दिल्ली से आजादी के संकट पर उदासीन था। पिता का रोल उसमें सबसे अलग था।

‘विडम्बना’ के पहले खंड में इंदिरा गांधी की अराजकता है। इमरजेंसी में आजादी के आंदोलन में जुड़े हुए लोगों को सत्ता का विरोधी बना दिया था। दूसरा खंड आजादी के बाद अवसरवाद की शुरुआत का दौर है। सत्ता में चोर दरवाजे से आने का एक सिलसिला शुरू हो गया था। अक्सर मंत्री का परिवार नौकरी दिलाने की दलाली करता था। यह त्रासदी मैंने दिल्‍ली में देखी और देश के हर हिस्से में भी। सत्ता जैसे आजादी का दरबार बन गई। ‘विडम्बना’ के ज्यादातर पात्र मेरे घर के हैं। मैंने इसीलिए दोनों कहानियों को एक-दूसरे के सामने रखा और लोगों के मन में ये सोचने की भूमिका तैयार की, कि कांग्रेस के बाद आजादी और लोकतंत्र का भविष्य क्या है ?

ये सवाल मेरे संघर्ष का भी हिस्सा है। मैं पिता के समय ही कम्यूनिस्ट बन गया था और नाना के विरोध में एक संयुक्त मोर्चा बनाकर लड़ा था। जेल गया था। इस विडम्बना को तोड़ने के लिए मैंने आजादी के खंड में पिता के संघर्ष की कहानी दी और आजादी के बाद की विडम्बना में सभ्यता के भीतर अवसरवाद की। आज मैं कह सकता हूं कि विडम्बना की कहानी मेरे अनुभव के विस्तार की कहानी है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

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