Bahadur Tom

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Bahadur Tom

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70.00 60.00

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Author: Mark Twain Translated Srikant Vyas

Availability: 5 in stock

Pages: 80

Year: 2019

Binding: Paperback

ISBN: 9788174830210

Language: Hindi

Publisher: Rajpal and Sons

Description

बहादुर टॉम

टॉम !

कोई उत्तर नहीं।

‘‘ओ टॉम ! आखिर हो क्या गया है इस लड़के को ? ओ टॉम !’’

बूढ़ी पाली मौसी ने अपना चश्मा नाक पर नीचे गिराकर, उसके ऊपर से कमरे के चारों ओर नजर दौड़ाई। फिर उन्होंने चश्मे को माथे पर चढ़ाकर चारों ओर देखा। चश्मे के अन्दर से शायद ही कभी उन्होंने देखने की कोशिश की हो। और सच तो यह है कि वह चश्मा आंख की कमजोरी के कारण नहीं, फैशन के लिए लिया गया था। वे थोड़ी देर तक उलझन में पड़ी रहीं, फिर कर्कश स्वर में तो नहीं, किन्तु स्वर को इतना तेज बनाकर जरूर बोलीं कि कम से कम कमरे में रखे फर्नीचर उनकी बात सुन सकें, ‘‘आज अगर मैं तुझे पकड़ पाऊं तो मैं…..’’

किन्तु वे अपनी बात पूरी नहीं कर सकीं, क्योंकि उन्होंने झुककर बिस्तर के नीचे भाड़ू पीटना शुरू कर दिया था।

किन्तु झाड़ू पीटकर वे बिस्तर के नीचे से एक बिल्ली के अतिरिक्त और कुछ नहीं निकाल सकीं।

‘‘ओफ, ऐसा लड़का तो मैंने कहीं देखा ही नहीं !’’

दरवाजे पर जाकर उन्होंने बाग में फैले टमाटर के पौधों और ‘जिम्पसन’ के वृक्षों के बीच भी देखा, मगर कहीं भी टॉम का पता न था। सो अपने स्वर को काफी ऊंचा करके चिल्लाई, ‘‘ओ….टॉम !’’

तभी उनके पीछे हल्की-सी आवाज हुई और उन्होंने, तुरंत मुड़कर धर दबोचा भागते हुए टॉम को। टॉम भाग नहीं सका। ‘‘हूं ! मुझे इस अलमारी का तो खयाल ही नहीं आया था। इसमें घुसकर क्या कर रहा था तू ?’’

‘‘कुछ भी तो नहीं।’’

‘‘कुछ नहीं ! जरा अपने हाथों और मुंह को तो देख ! यह क्या चुपड़ रखा है हाथ-मुंह में ?’’

‘‘मुझे कुछ पता नहीं, मौसी !’’

‘‘मगर मुझे पता है ! यह है मुरब्बा, है न ? सैकड़ों बार कह चुकी हूं तुझसे कि मुरब्बा न छुआ कर, वरना तेरी चमड़ी उधेड़कर रख दूंगी मारते-मारते ! ला, वह कोड़ा मुझे दे !’’

और कोड़ा हवा में नाच उठा। टॉम के मुंह पर हवाइयां उड़ने लगीं।

‘‘अरे बाप रे ! जरा अपने पीछे तो देखो मौसी !’’

मौसी तेजी से घूम गई और खतरे से बचने के लिए अपने स्कर्ट को झाड़ने लगी। बस, टॉम तेजी से भाग खड़ा हुआ। पलक झपकते ही चारदीवारी को एक छलांग में पार कर, वह गायब हो गया। क्षण-भर पाली मौसी आश्चर्य में पड़ी खड़ी रह गई, फिर स्नेहसिक्त हंसी फूट पड़ी उनके मुख से।

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Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

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