Bahuri Akela Kumar Gandharav Par Kavitayee Aur Nibandh

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Bahuri Akela Kumar Gandharav Par Kavitayee Aur Nibandh

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Author: Ashok Vajpeyi

Availability: 5 in stock

Pages: 116

Year: 2005

Binding: Hardbound

ISBN: 9789350724859

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

बहुरि अकेला कुमार गन्धर्व पर और निबन्ध

कुमार गन्धर्व न सिर्फ़ भारतीय संगीत बल्कि समूची भारतीय संस्कृति के एक कालजयी शलाका-पुरुष रहे हैं। कर्नाटक में जन्मे मराठीभाषी इस संगीतकार ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा मध्यप्रदेश के देवास में बिताया। कुमार गन्धर्व एक चिंतक-गायक थे : उन्होंने परंपरा को निर्भीक और प्रयोगशील उत्स माना और परिवर्तन के इर्द-गिर्द संगीत का एक नया सौंदर्यशास्त्र ही गढ़ दिया। लोक को शास्त्र का मूलाधार मानते हुए उन्होंने अपने संगीत से लोकधर्मिता और शास्त्रीयता के द्वैत का अतिक्रमण किया। राग-संगीत, निर्गुण-सगुण भजन, मालवी लोकगीत आदि अनेक माध्यमों को समान अधिकार और कल्पनाशीलता से बरतते हुए कुमार गन्धर्व ने देश भर में साधारण संगीत-रसिकों, कलाकर्मियों, बुद्धिजीवियों आदि को नए और अप्रत्याशित संगीतरस से अभिभूत किया और हमारे समय में संगीत के फलितार्थों पर पुनर्विचार की उत्तेजना दी।

हिन्दी में यह पुस्तक अनूठी है : वह एक संगीतप्रेमी कवि-आलोचक की एक महान् संगीतकार को अनेक किस्तों में दी गई प्रणति है। उसमें गहरे विनय, उदग्र जिज्ञासा और सजग अभिभूति से अशोक वाजपेयी ने कुमार गन्धर्व के संगीत-संसार, उनकी दृष्टि और उनकी चेष्टा को भावप्रवण काव्यभूमि और उत्तेजक बौद्धिक आधार प्रदार किया है। कुमार गन्धर्व की पचत्तरवीं वर्षगाँठ पर कविताओं, निबंधों और बातचीत का यह संकलन विशेष रूप से प्रकाशित किया जा रहा है।

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Authors

Binding

Hardbound

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Language

Hindi

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Publishing Year

2005

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