Burf Ki Rani

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Burf Ki Rani

Burf Ki Rani

70.00 60.00

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Author: Hans Christian Andersen

Availability: 5 in stock

Pages: 80

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9788174830180

Language: Hindi

Publisher: Rajpal and Sons

Description

बर्फ की रानी

एक जादूगर था। वह बहुत दुष्ट था। बिल्कुल राक्षस ही समझो। दूसरों को तंग करने में उसे बड़ा मज़ा आता था। उसने एक ऐसा जादुई आईना तैयार किया, जिसमें हर अच्छी और सुन्दर चीज भद्दी और बदसूरत दिखाई देती थी। आमतौर से तो उसमें अच्छी चीजें दिखाई ही नहीं देती थीं। खराब और बदसूरत चीज़ें उसमें खूब अच्छी मालूम पड़ती थीं।

इस जादुई आइने में अगर कोई सुन्दर आदमी देखता तो उसकी शक्ल बिल्कुल बिगड़ जाती थी। कभी सिर गायब, तो कभी पेट गायब। हाथ पैर इस तरह मुड़े हुए और टूटे हुए-से लगते थे कि कोई उसको पहचान नहीं सकता था। जादूगर यह देखकर दुष्टतापूर्वक हंसता था और मन ही मन बड़ा खुश होता था।

जादूगर ने अपने बहुत-से चेले पाल रखे थे। वे भी एक से एक बढ़कर दुष्ट थे। वे उस जादुई आईने को लेकर घूमते थे और लोगों को उनकी बदली हुई शक्लें दिखाकर चिढ़ाया करते थे।

एक बार उसके शिष्यों को एक नयी चाल सूझी। उन्होंने सोचा कि देवतागण और स्वर्ग की अप्सराएं वगैरह अपने को बहुत सुन्दर मानती हैं। चलो उन्हें भी उनकी असली शक्ल इस आइने में दिखाई जाए। यह सोचकर वे जादू के बल से आईना उठाकर आसमान में उड़ने लगे। वे उढ़ते चले गए। यहां तक कि इतनी ऊंचाई पर जा पहुँचे कि उनके हाथ से वह जादुई आईना छूट गया और ज़मीन पर जा गिरा। गिरते ही उसके इतने चोटे-छोटे टुकड़े हो गए कि वे हवा में उड़ने लगे। संसार के लिए यह और भी बुरी बात हुई। उस शैतान आईने के ज़र्रे कुछ लोगों की आँखों में पड़े और वे हर अच्छी चीज को बुरी समझने लगे। उस शैतान आईने के टुकड़े कुछ लोगों के दिल में भी जा बैठे।। यह और भी बुरा हुआ। लोगों के दिलों से दया, ममता प्रेम, स्नेह—सब कुछ उड़ गया और वे पत्थर दिल हो गए, बिलकुल बर्फ़ जैसे ठंडे और कड़े। उस शीशे के कुछ बड़े टुकड़े इकट्ठा करके लोगों ने इनके चश्मे बना लिए और उन्हें अपनी आंखों पर लगाकर वे अपने पड़ोसियों और मिलने-जुलने वालों, सबको बुरा समझने लगे।

जादूगर यह देखकर खूब प्रसन्न हुआ और खिल-खिलाकर हंसता रहा। अब भी उस शैतान आईने के टुकड़े हवा में तैर रहे हैं। इनका क्या असर होता है। इसे हम आगे की कहानी में पढ़ेंगे।

एक बड़ा शहर था, जहाँ बहुत से लोग रहते थे। वह इतना घना बसा हुआ था और लोगों के पास इतने छोटे-छोटे मकान थे कि वे एक बगीचा तक नहीं लगा सकते थे। ऐसी ही घनी बस्ती में दो छोटे बच्चे रहते थे। एक लड़का और एक लड़की। दोनों भाई-बहन नहीं थे, लेकिन दोनों में भाई-बहन जैसा ही प्यार था। उनके घर इतने पास-पास थे कि वे अपने घर की खिड़की पार करके दूसरे की खिड़की में जा सकते थे। खिड़की के पास लकड़ी के बड़े-बड़े डिब्बों में उनके घर के लोगों ने कुछ पौधे लगा रखे थे, जिनमें गुलाब भी थे।

जाड़े के दिनों में दोनों का मिलना-जुलना बन्द हो जाता था, क्योंकि इतनी बर्फ़ गिरती थी कि खिड़कियों के शीशों पर भी बर्फ़ की मोटी तह जम जाती थी। वे एक-दूसरे को देख भी नहीं पाते थे। ऐसे मौके पर वे किसी सिक्के को अंगीठी पर ख़ूब गर्म करते थे और फिर उसे खिड़की के शीशे पर चिपका देते थे। इससे गर्मी पाकर उतनी जगह की बर्फ़ गल जाती थी और एक छोटा-सा छेद बन जाता था। उसी छेद से दोनों एक-दूसरे को देखते थे। लड़के का नाम था किटी और लड़की का नाम था गेर्डा।

कभी-कभी लड़के की दादी दोनों को कहानियां, खासकर बर्फ़ की रानी की कहानियां सुनाती थी।

एक दिन शाम को बाहर बर्फ़ गिर रहा थी। लड़का अपने कमरे में ही था। उसने एक छेद से झांककर बाहर देखा। बाहर पौधों के डिब्बों में बर्फ़ गिर रही थी। अचानक बर्फ़ के एक गोले पर उसकी नज़र जम गई। उसने देखा कि बर्फ़ का वह गोला बढ़ते-बढ़ते रूई के एक ढेर की तरह हो गया। यही नहीं, थोड़ी देर में लगा कि वहां सफेद वस्त्र पहने एक रानी बैठी है। जिसने तारों का मुकुट पहन रखा है। लड़का उसे देखता ही रह गया। क्या यही बर्फ़ की रानी है ? अचानक रानी ने उसको अपनी ओर आने का इशारा किया। लड़का डर गया और खिड़की से नीचे उतर आया। अचानक उसने देखा कि एक बड़ी-सी सफेद चिड़िया उसकी खिड़की के पास से उड़ गई है और बर्फ़ की रानी गयाब हो गई।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

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