Bharat Ke Nagaron Ki Kahani

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Bharat Ke Nagaron Ki Kahani

Bharat Ke Nagaron Ki Kahani

90.00 76.00

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Author: Bhagwatsharan Upadhyay

Availability: 5 in stock

Pages: 72

Year: 2017

Binding: Paperback

ISBN: 9788170285939

Language: Hindi

Publisher: Rajpal and Sons

Description

भारत के नगरों की कहानी

भारत एक महान् देश है, जिसके संबंध में परिचय देने वाली यह पुस्तकमाला भारत के सभी पक्षों का पूरा विवरण देती है। प्रत्येक पृष्ठ पर दो रंग में कलापूर्ण चित्र, सुगम भाषा और प्रामाणिक तथ्य। इस पुस्तकमाला के लेखक हैं, प्रसिद्ध साहित्यकार, इतिहास और कला के मर्मज्ञ डॉ. भगवतशरण उपाध्याय।

अनुक्रम

       काशी

       प्रयाग

       उज्जयिनी

       वैशाली

       पाटलिपुत्र

       दिल्ली

       मुम्बई

       कोलकाता

       चेन्नई

★       कुछ और प्रसिद्ध नगर

★       भुवनेश्वर

★       पुणे

★       तिरूवनन्तपुरम्

★       बंगलौर

 

काशी

पतितपावनी गंगा के तट पर बसी काशी बड़ी पुरानी नगरी है। इतने प्राचीन नगर संसार में बहुत नहीं हैं। आज से हजारों बरस पहले नाटे कद के साँवले लोगों ने इस नगर की नींव डाली थी। तभी यहाँ कपड़े और चाँदी का व्यापार शुरू हुआ।

वे नाटे कद के साँवले लोग शान्ति और प्रेम के पुजारी थे। किसी से लड़ते-झगड़ते नहीं थे, अपने खेत जोतते थे, माल बेचते खरीदते थे। छोटी-छोटी नावों में माल भर-भर कर गंगा की राह दूर तक वे चले जाते, बैलगाड़ियों में माल लादकर देश-देश की यात्रा करते थे।

एक दिन दूर पश्चिम से आकर ऊँचे कद के गोरे लोगों ने उनकी नगरी छीन ली। वे ऊँचे लोग घोड़ों पर चढ़कर आए थे। उनके पास तीर कमान थे, भाले- बरछे थे। फरसे और ढाल थे। बचाव के लिए टोप और कवच थे। बड़े लड़ाके थे वे, लड़ाई ही उनका पेशा था। उनके घर-द्वार न थे, धन-दौलत न थी। घोड़े की पीठ ही उनका घर-द्वार था, लड़ने के हथियार ही उनकी धन-दौलत थे। वे भला हारते कैसे !

उनके पास भला हारने को था ही क्या ! और काशी उन्होंने अनायास जीत ली। परकोटों को तोड़कर वे नगर के भीतर घुस गए। नगर के मालिक बन गए। वे अपने को ‘आर्य’ कहते थे, श्रेष्ठ महान।

आर्यों की अपनी जातियाँ थीं, अपने कुल घराने थे। एक-एक जाति का एक-एक राजा था। उनका एक राजघराना तब काशी में भी आ जमा। आर्य तब इस देश को चारों ओर से जीतते जा रहे थे। उन्होंने पश्चिम में अनेक राज्य कायम किए। काशी के पास ही अयोध्या में भी तभी उनका राजकुल बसा। उसे राजा इक्ष्वाकु का कुल कहते थे, सूर्यवंश, जिनके पुरखे सूर्य की सन्तान माने जाते थे। काशी में चन्द्रवंश की प्रतिष्ठा हुई। सैकड़ों बरस उस नगर पर भरत राजकुल के चन्द्रवंशी राजा राज करते रहे।

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Binding

Paperback

Authors

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2017

Pulisher

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