Chor Nikal Ke Bhaga

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Chor Nikal Ke Bhaga

Chor Nikal Ke Bhaga

200.00 170.00

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200.00 170.00

Author: Mrinal Pandey

Availability: 5 in stock

Pages: 60

Year: 1997

Binding: Hardbound

ISBN: 9.78818E+12

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

चोर निकल के भागा

समकालीन हिंदी कथा-साहित्य, नाटक और पत्रकारिता को अपनी रचनात्मक उपस्थिति से समृद्ध करनेवाली रचनाकार मृणाल पाण्डे की यह नवीनतम नाट्‌यकृति है। हिंदी रंगमंच पर भी यह नाटक पिछले दिनों विशेष चर्चित रहा है। हास्य-व्यंग्य से भरपूर अपने चुटीले भाषा-शिल्प और लोकनाट्‌य की अनेक दृश्य-छवियों को उजागर करता हुआ यह नाटक वस्तुतः हमारी कला-संस्कृति के बाजारीकरण से जुड़े सवालों को उठाता है। कला, सौंदर्य, प्रेम और परम्परा जैसे तमाम मूल्यों का सौदा हो रहा है, और इस सौदे में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कितने ही सफेदपोश शामिल हैं। नाटक की उक्त अंतर्वस्तु को उद्‌घाटित करने के लिए लेखिका ने प्रेम और सौंदर्य के प्रतीक ताजमहल की चोरी की कल्पना की है। वास्तव में यह एक फंतासी भी है, जिसके सहारे लेखिका उन मानव-मूल्यों पर मँडराते खतरों को रेखांकित करती है, जिनकी सफलता मनुष्य जाति की तमाम कलात्मक उपलब्धियों को निरर्थक कर देगी।

साथ ही वह कलाओं के उस जनतंत्र को भी लक्षित करती है, जिसे लेकर सत्ता-स्वायत्ता जैसी बहसें अक्सर होती रहती हैं। कहना न होगा कि मृणाल पाण्डे की यह नाट्‌यरचना अपने हास्यावरण में गम्भीर अर्थों तक जाने की क्षमता लिये हुए है।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

1997

Pulisher

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