Dariyai Ghoda
Dariyai Ghoda
₹125.00 ₹100.00
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Author: Uday Prakash
Pages: 116
Year: 2017
Binding: Paperback
ISBN: 9788181435910
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
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Description
दरियाई घोड़ा
‘कौन कहता है कि कहानियों के पेड़ नहीं हुआ करते। होते हैं। उदय ने अपनी कहानियों को उन पेड़ों पर से तोड़ा है, जैसे हम सेब-आम तोड़ते हैं। उदय की कहानियों के पेड़ न तो रूस के जंगलों में हैं, न चीन में, न जर्मनी के जंगलों में हैं, न स्पेन में। वे आज के डरावने समय के जंगल में उगे पेड़ हैं, जहाँ से उदय अमरूद की तरह अनगिनत बीज वाली कहानियाँ तोड़ते हैं। इन कहानियों में उनकी कविताएँ भी अन्तर्निहित हैं, जो रात में हारमोनियम की तरह बजती हैं और मनुष्य के भीतर की रिक्तता को भरती हैं। फिर भी कुछ लोग हैं जो ‘चोखी’ (वारेन हेस्टिंग्स का साँड) के मरने और तिरिछ द्वारा काटे हुए पिता की ट्रेजेडी पर ज़ोर-ज़ोर से हँसते हैं। …वे शायद नहीं जानते कि दरियाई घोड़ा जब मरता है तो कितना छटपटाता है!’
-डॉ. कृष्ण कुमार (‘कहानी के नये प्रतिमान’ : वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली)
‘यह अकारण नहीं है कि ‘ख़तरनाक विचार’ वाले नये लेखकों की कहानियाँ देश के कुछ बड़े लेखकों-आलोचकों द्वारा न सिर्फ रद्द करने की कोशिशें की जा रही हैं वरन् उनके समानांतर ऐसी कहानियों को प्रतिष्ठित करने की कोशिशें की जा रही हैं, जिनमें ‘विचार’ या तो अनुपस्थित है या है भी तो नख-दंत विहीन। ऐसी कहानियों का सच दृष्टा का नहीं, दर्शक का सच होता है। …‘दरियाई घोड़ा’ उदय प्रकाश के कहानीकार की उपलब्धि के बतौर गिनी जा सकती है, जिसमें रचा-बसा गहरा मानवीय स्पर्श, संवेदना और ताप आज की युवा कहानी की सामर्थ्य और ताजगी का बैरोमीटर माना जा सकता है। एक कवि की इतनी समर्थ कहानियाँ उन लोगों को उलझन में डाल देंगी जो मानते हैं कि कवि अगर कहानी लिखेगा तो वह भी गद्य-कविता ही होगा। बेशक, उदय प्रकाश की इन कहानियों में भी एक आन्तरिक लय है, लेकिन वह कविता की नहीं कहानी की लय है।
– धीरेंद्र अस्थाना (दिनमान : 29 जुलाई-4 अगस्त, 1984)
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Binding | Paperback |
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ISBN | |
Language | Hindi |
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Publishing Year | 2017 |
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