Dhai

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Author: Sudhir Ranjan Singh

Availability: 5 in stock

Pages: 128

Year: 2024

Binding: Paperback

ISBN: 9789357757713

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

ढाई

और कुछ नहीं तो, मोक्षधरा और शायद के बाद ढाई सुधीर रंजन सिंह का चौथा संग्रह है। इस संग्रह में स्वाभाविक यथार्थ, राजनीतिक व्यंग्य, स्वप्न और प्रकृति-प्रेम की कविताएँ हैं। असली अनुभव, बारीक कल्पनाशीलता और भाषा-रचाव की नवीनता संग्रह में मुखर हैं। इसके साथ ही हमारे भीतर तक पैठी हृदयहीनता, अमानवीयता, अजनबीपन और अ-लगाव का भी इसमें गहरा अहसास है।

ढाई में गहरे निजत्व बोध की कविताएँ हैं। अधिकार और ताक़त के खेल से दूर एक संवेदनशील मन की कविताएँ हैं-गहरे आत्मखनन की कविताएँ ! प्रकृति से रागात्मक जुड़ाव और आकर्षण की कई कविताएँ हैं, जो अनुभव और स्मृति के जटिल सम्बन्ध से पैदा हुई हैं। अनेक कविताओं में मनमोहक भू-दृश्य हैं।

इस निराश और हताश कर देने वाले समय में सबसे ज़रूरी शब्द ढाई अक्षर का प्रेम है, जिसके बखान के लिए कवि रोमानी स्मृतियों में प्रवेश करता है। स्मृतियों के प्रति गहरा सम्मोहन है। अपनी स्थितियों और चिन्ताओं के बयान में कवि बेहद ईमानदार है।

ढाई में मामूली और लघुता का सौन्दर्य जीवन्त और मुखर है। कवि की कल्पना और दृष्टि का रेंज बहुत बड़ा है। भाषा की मितव्ययता और शिल्पगत कसावट प्रभावित करती है। सघन चुप्पियों और मौन से पैदा हुई मन्त्रों जैसी चकित कर देने वाली संक्षिप्तता है। ईमानदार अभिव्यक्ति के कारण ढाई की कविताएँ सचमुच बहुत प्रभावित करती हैं।

– सियाराम शर्मा

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Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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