Ghame Hayat Ne Mara
Ghame Hayat Ne Mara
₹110.00 ₹90.00
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Author: Rajee Seth
Pages: 132
Year: 2009
Binding: Hardbound
ISBN: 9788126316748
Language: Hindi
Publisher: Bhartiya Jnanpith
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Description
गमे हयात ने मारा
हिन्दी की चर्चित कथाकार राजी सेठ का नवीनतम कहानी-संग्रह।
राजी ने अपनी कहानियों में वर्तमान की भूमि पर जमकर संघर्ष करने के लिए गत और आगत मूल्यों के विध्यात्मक अर्थों की खोज की है। वास्तव में विध्यात्मकता स्वयं नकारात्मक मूल्यों का निषेध है। यह प्रहार की एक शैली भी हो सकती है, जिसे राजी ने भलीभाँति जाना-समझा है। व्यक्ति और परिवार की सीमा में वे बहुत कुछ असीम कहती हैं। वे सपाट मॉडल रचकर एक रूढ़ि को तोड़ते हुए दूसरी रूढ़ि नहीं बनातीं। पुरुष की निष्करुणता और करुणा को एक साथ प्रचलित उपादानों के विभिन्न संयोजनों में रखकर अनुभव की पूर्णता और सृजनात्मक सामर्थ्य का परिचय देती हैं।
राजी उन लेखकों में से नहीं हैं जो चीज़ों को स्थानभ्रष्ट, रूपभ्रष्ट, अनुभवभ्रष्ट करने को कला की क्षमता मानते हैं। वे नैसर्गिक के नियोजन द्वारा अनैसर्गिक का प्रतिवाद रचती हैं। अपने लेखन में न तो वे स्त्री होने से इनकार करती हैं, न उसे नष्ट करती हैं बल्कि उसे अपने जैविक नैसर्गिक रूप में स्थित करके उसकी शक्ति और सम्भावना का सृजनात्मक उपयोग करती हैं। इस स्वीकार के भीतर कितने ही नकार रचते हुए राजी ने यथास्थिति में जितने हस्तक्षेप किये हैं उन्हें उनकी आधुनिक पहचान के लिए देखना ज़रूरी है। राजी की स्त्री ने पराजित पुरुष को, बल्कि व्यवस्था को, जितनी भंगिमाओं में उकेरा है और अपनी विध्यात्मक दृष्टि से जो मूल्यवत्ता अर्जित की है उससे नये-नये सृष्ट्यर्थ प्रकट हुए हैं। वे स्त्री की खोट को भी पहचानने की कोशिश करती हैं और भरसक निरपेक्ष बनी रहकर अधिक विश्वसनीय होती हैं।
—प्रभाकर श्रोत्रिय
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2009 |
Pulisher |
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