Hindi Kavita Ka Atit Aur Vartman

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Hindi Kavita Ka Atit Aur Vartman

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495.00 375.00

In stock

495.00 375.00

Author: Manager Pandey

Availability: 5 in stock

Pages: 218

Year: 2018

Binding: Hardbound

ISBN: 9789350725696

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

हिन्दी कविता का अतीत और वर्तमान

हिन्दी में अधिकांश आलोचना या तो अफवाहों के सहारे चल रही है या फिर आप्त-वचनों के सहारे। मैनेजर पाण्डेय के बारे में हिन्दी आलोचना में यह अफवाह फैली हुई है या फैलाई भी गयी है कि वह सैद्धान्तिक सोच के आलोचक हैं, व्यावहारिक आलोचना लिखने वाले आलोचक नहीं। इस बारे में मैनेजर पाण्डेय का कहना है कि अगर व्यावहारिक आलोचना का अर्थ कविता की टीका या भाष्य है तो टीका या भाष्य आलोचना नहीं है, आधुनिक आलोचना तो बिल्कुल नहीं। हिन्दी का हर एक आलोचक यह जानता है कि मैनेजर पाण्डेय ने सूरदास की कविता की आलोचना की पूरी पुस्तक लिखी है जो उनकी सर्वाधिक लोकप्रिय पुस्तक है।

प्रस्तुत पुस्तक में मैनेजर पाण्डेय ने मध्यकाल के कवि कबीर, दादू, मीराँ और रहीम तथा आधुनिक काल के कवि महेश नारायण, नाथूराम शर्मा शंकर, मैथिलीशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, नागार्जुन, त्रिलोचन, अज्ञेय, रघुवीर सहाय, धूमिल, कुमार विकल, शैलेन्द्र, अदम गोंडवी और पी.सी. जोशी की कविताओं का विवेचन तथा मूल्यांकन किया है।

इस पुस्तक के अन्त में तीन निबन्ध ऐसे हैं जो किसी कवि पर नहीं हैं, पर समकालीन कविता की विभिन्न समस्याओं से सम्बद्ध हैं। पहला निबन्ध है भाषा की राजनीति, दूसरा है राजनीति की भाषा और तीसरा है आज का समय और कविता का संकट। पहले निबन्ध के केन्द्र में धूमिल की कविता है, दूसरे के केन्द्र में केदारनाथ सिंह की कविता और तीसरे निबन्ध के केन्द्र में रघुवीर सहाय की कविता है। उम्मीद है यह पुस्तक पाठकों में हिन्दी के जन काव्य की परम्परा की समझ पैदा करने में सहायक सिद्ध होगी।

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Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2018

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