Hindi Ki Janpadiya Kavita

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Hindi Ki Janpadiya Kavita

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1,750.00 1,300.00

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1,750.00 1,300.00

Author: Vidyaniwas Mishra

Availability: 5 in stock

Pages: 727

Year: 2018

Binding: Hardbound

ISBN: 9789386863898

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

हिन्दी की जनपदीय कविता

जनपदीय कविताओं के इस संकलन को प्रस्तुत करने का एक उद्देश्य यह भी समझा जा सके कि सहज होना कठिन तो है और कृत्रिम होकर सहज होना तो और कठिन है, पर हिन्दी में सहजता उसके भीतर ही अनेक रूपों में पुरइन-पात की तरह पसरी हुई है। उससे अपरिचित होना हिन्दी के लिए गौरव की बात नहीं है। हिन्दी पाठ्यक्रम में लोग तर्क देते हैं कि हिन्दीतर भाषियों के लिए हिन्दी के इतने रूप देना उचित नहीं। यह तर्क लचर है। साहित्य, कोश रखकर नहीं लिखा जाता, न कोई निर्धारित साँचा रखकर लिखा जाता है। साहित्य की भाषा साँचों को तोड़ती है, नए साँचे बनाती है। साहित्य की भाषा ही जीवन्त मानकों का नक़्शा देती है। यह तभी सम्भव होता है जब साहित्य की भाषा में आदान-प्रदान भीतर-बाहर से हो। यदि हिन्दी अपनी अभ्यन्तर शक्ति से अपरिचित रह जाए तो केवल बाहरी प्रभाव को लेकर वह चल नहीं सकती, चलेगी भी तो एक छोटे से वर्ग की भाषा रह जाएगी। हिन्दी की इस अभ्यन्तर शक्ति के विस्तार का निदर्शन इस संकलन में है। इसके संकलनकर्त्ता इन भाषाओं के रचनाकार भी हैं और इनके सुप्रसिद्ध अध्येता भी हैं। प्रत्येक ने अपने-अपने ढंग से भूमिका भी लिखी है।…

हर संग्रह की अपनी सीमा होती है, इसकी भी है, पर यह एक शुरुआत है। मुझे विश्वास है कि महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय का यह आरम्भ शुभ होगा।

—विद्यानिवास मिश्र

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2018

Pulisher

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