Is Yatra Mein
Is Yatra Mein
₹150.00 ₹128.00
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Author: Leeladhar Jagudi
Pages: 108
Year: 2009
Binding: Hardbound
ISBN: 9788126717910
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Description
इस यात्रा में
‘‘लीलाधर जगूड़ी ने अपने दूसरे संग्रह द्वारा हिन्दी कविता में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। यह एक बड़ी बात है। इन कविताओं में जीवन को उसकी समग्रता में पकड़ने की कोशिश है जो इधर के ख्यातिप्राप्त कवि भी नहीं कर पा रहे हैं। या तो वे अपनी भीतरी दुनिया में रमे रहते हैं या बाहरी दुनिया में भटकते रहते हैं। जगूड़ी ने दोनों छोरों को पकड़ा है, साधने की कोशिश की है, किसी एक का निषेध नहीं किया है। दोनों दुनियाओं को जोड़ने का प्रयास उनकी इस संग्रह की कविताओं में अक्सर दीखता है। इससे कवि इनसान की तरह आत्मीय बनता है, पैग़म्बर या क्रान्तिकारी की तरह आस्था और आतंक नहीं जगाता। इस तरह उनका रास्ता धूमिल से अधिक सही है। जगूड़ी की इस यात्रा में अन्तः और बाह्य यात्राओं का विलय है। सच्चे कवि के लिए ये दोनों यात्राएँ अलग नहीं होतीं, केवल उन पर आग्रह घटता-बढ़ता रहता है। अपने अनुभूतिलोक के कारण, प्रतिबद्धता के नाम पर ‘रूपवादी’ और ‘राजनीतिवादी’ उसे एक का होकर रखना चाहते हैं और प्रचारित करते हैं कि दूसरा संसार झूठा है। वास्तविक प्रतिबद्धता अनुभूति की ही प्रतिबद्धता है जिसे कवि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में प्राप्त करता है और उससे बचता नहीं, रचता है।
जगूड़ी की दूसरी विशेषता इन दोनों दुनियाओं को जोड़ने का शिल्प है और तीसरा उनका बड़बोला न होना है। शिल्प के क्षेत्र में उनके बिम्ब फिसलते हुए प्रकृति से इनसान की ओर, इनसान से प्रकृति की ओर आते-जाते हैं। इस यात्रा में कहीं एक जगह रम नहीं जाते।
पेड़ के प्रतीक से जितना अधिक काम उन्होंने लिया है उतना बहुत कम नए कवियों ने लिया है। भाषा उनकी बोलचाल की, सहज है पर उसका प्रयोग वह एक असहज तेवर के साथ करते हैं, जिसकी ज़रूरत उनके जैसे कवियों को नहीं होनी चाहिए। भाषा का आप किसी आग्रह के साथ प्रयोग कर रहे हैं यह पाठक को बता देना कवि की अपनी ताक़त कम कर लेना है। कहीं-कहीं कविता के पूरे विन्यास में न खपने और चौंकाने वाले शब्दों का प्रयोग उन्होंने किया है जो अब उन्हें छोड़ देना चाहिए। कविता के सम्पूर्ण आकर्षण को किसी एक भड़कीले, असहनशील शब्द की ओर नहीं फेरना चाहिए। लीलाधर जगूड़ी का यह संग्रह ध्यान से पढ़ा जाना चाहिए।’’
—सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
(दिनमान, 13 मई, 1975)
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
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Publishing Year | 2009 |
Pulisher |
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