Patthalgarhi

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Patthalgarhi

Patthalgarhi

199.00 149.00

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199.00 149.00

Author: Anuj Lugun

Availability: 3 in stock

Pages: 120

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9789390678907

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

पत्थलगड़ी

पत्थलगड़ी औपनिवेशिक समय में जब शासन ने आदिवासियों से उनकी ज़मीन का मालिकाना सबूत माँगा तो कचहरी में आदिवासियों के साथ पत्थर भी खड़े हुए। अंग्रेज़ों की अदालत ने आदिवासियों के पक्ष में पत्थरों की गवाही को स्वीकार नहीं किया। उनकी ज़मीन पर सेंध लगाने के लिए अंग्रेज़ों ने उनके ‘पत्थरों’ के प्रयोग पर निषेध लगाया। उसके बाद जब-जब आदिवासियों ने अपनी ज़मीन का दावा किया, तब-तब शासन ने उनकी ‘पत्थलगड़ी’ पर निषेध लगाया।

सहजीविता और स्वायत्तता को कुचलने की शासन की साज़िश बहुत पुरानी है। दुखद है कि आज भी कई आदिवासी गाँव ‘पत्थलगड़ी’ करने के आरोप में देशद्रोही माने गये हैं। आज जब फिर से आदिवासियों से उनकी ज़मीन का पट्टा माँगा जा रहा है तो पत्थर फिर से उनके पक्ष में गवाही के लिए खड़े हुए हैं। इस बार आदिवासियों के साथ केवल पत्थर ही नहीं खड़े हैं बल्कि उनके साथ कविता भी खड़ी हो गयी है।

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Authors

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Paperback

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

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