Jahan Hai Dharam, Wahin Hai Jai

-15%

Jahan Hai Dharam, Wahin Hai Jai

Jahan Hai Dharam, Wahin Hai Jai

300.00 255.00

In stock

300.00 255.00

Author: Narendra Kohli

Availability: 10 in stock

Pages: 224

Year: 2010

Binding: Hardbound

ISBN: 9788170552642

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

जहाँ धर्म है वहीं है जय
प्रस्तुत पुस्तक को महाभारत के कथानक को, उसकी अर्थ प्रकृति को समझने का प्रयत्न कहा जा सकता है तथा एक उपन्यासकार के कथानक-निर्माण के सारे उपकरणों तथा तर्क-युक्तियों को परखने का कर्म भी। पुस्तक रूप में लम्बे आख्यान को माध्यम से लेखक ने व्यास के मन में झाँकने का प्रयास किया है। लेखक के अनुसार जब उसने महाभारत को साहित्यिक कृति के रूप में पढ़ना प्रारंभ किया था तो उनके मन अनेक प्रश्न थे। लेकिन पढ़ते-पढ़ते जब महाभारत उस पर आच्छादित होने लगा तो उसने महसूस किया कि यदि स्वयं को महाभारत पर आरोपित करने का प्रयत्न करता है तो महाभारत मौन है, और यदि जिज्ञासु बनकर उसके सम्मुख जाता है तो वह उनकी समस्याओं का समाधान करता है।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2010

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Jahan Hai Dharam, Wahin Hai Jai”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!