Jalte Hue Van Ka Vasant

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Jalte Hue Van Ka Vasant

Jalte Hue Van Ka Vasant

299.00 225.00

In stock

299.00 225.00

Author: Dushyant Kumar

Availability: 5 in stock

Pages: 112

Year: 2020

Binding: Hardbound

ISBN: 9788170556503

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

जलते हुए वन का वसंत

…तो दुष्यन्त की अभिव्यक्ति, भाषा और शिल्प के हर धरातल पर बहुत ही सहज और अनायास (स्पानटेनियस) है। उसका अन्दाजे-बयाँ बिल्कुल प्रत्यक्ष और सीधा (अवक्र) है, लेकिन प्रश्न है कि यह सहजता या प्रत्यक्षता या सरलता आई कहाँ से ? यह कवि की पूरी सृजन और अनुभव-प्रक्रिया का परिणाम है। इसके पीछे जीवन का सहज-ग्रहण है। ….काव्य-बोध के सन्दर्भ में वह प्रभावों और अनुभूतियों को बड़ी सादगी से उठाता है। अधिकांशतः शुद्ध भावों और अनुभूतियों को-और बिना किसी काव्यात्मक उपचार और आलंकारिक प्रत्यावर्तन के बड़ी ‘सादाजबानी’ से अभिव्यक्त कर देता है। …उनमें (दुष्यन्त की कविताओं में) सम्पूर्ण मर्म आन्दोलित हो उठता है, इसलिए वे चौंकाने या उबुद्ध करने के स्थान पर ‘हॉन्ट’ करती हैं।

पूरी नयी कविता में, इसीलिए, उनका स्वर अलग और अकेला है, उन पर किसी भी देशी-विदेशी कवि का प्रभाव या साम्य ढूँढ़ना गलत होगा…। ….दुष्यन्त के पूरे काव्य के सन्दर्भ में डी.एच. लारेंस की ये पक्तियाँ मुझे बार-बार याद आती हैं – ‘‘दि एसेंस ऑफ़ पोएट्री विद अस इन दिस एज ऑफ़ स्टार्क एण्ड अन-लवली एक्चुअलिटीज़ इज़ ए स्टार्क डाइरेक्टनेस, विदआउट ए शैडो ऑफ़ ए लाइ, ऑर ए शैडो ऑफ डिफ़लेक्शन एनीव्हेयर एव्हरीथिंग कैन गो. बट दिस स्टार्क, बेयर, रॉकी डाइरेक्टनेस ऑफ़ स्टेटमेंट, दिस एलोन मैक्स पोएट्री टुडे।’’

डॉ. धनंजय वर्मा की पुस्तक आस्वादन के धरातल से।

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Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Publishing Year

2020

Pages

Pulisher

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