Kala Phool

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Author: Alexander Dumas Translated Srikant Vyas

Availability: 5 in stock

Pages: 80

Year: 2018

Binding: Paperback

ISBN: 9788174830678

Language: Hindi

Publisher: Rajpal and Sons

Description

काला फूल

यह हालैण्ड की राजधानी हेग नगर की एक कहानी है। 20 अगस्त, सन् 1672 की बात है। उस दिन नगर की सड़कें लोगों की भीड़ से खचाखच भरी थीं। लोगों में कुछ बेचैनी और हड़बड़ी मालूम होती थी। सब न जाने किस बात से बहुत उत्तेजित थे।

वैसे यह बहुत शान्त नगर था। यहाँ के लोग बहुत भले थे और शान्तिपूर्ण जीवन बिताने वाले थे। लेकिन उस दिन सवेरे ही लोग न जाने किस बात पर उत्तेजित हो उठे थे। वे हाथों में तलवारें, कुल्हाड़ियाँ, लाठियाँ और छुरे लिए दौड़े चले आ रहे थे। कुछ लोगों के पास पुराने ढंग की तोड़ेदार बन्दूकें भी थीं।

असल में बात यह थी कि नगर के बीचों-बीच स्थिति ‘बीतेनहोफ’ नामक भयानक जेल खाने में हालैण्ड के प्रधानमंत्री जॉन-द-विट का भाई कार्नेलियस-द विट हत्या के आरोप में कैद करके रखा गया था। उस भयानक जेलखाने का खण्डहर आज भी हेग नगर में विद्यमान है।

उस समय हालैण्ड कई प्रान्तों में बँटा हुआ था। इन प्रान्तों पर कई वर्षों तक जॉन और कार्नेलियस का शासन था। लेकिन जब से यह कहानी शुरू होती है उसके कुछ समय पहले फ्रांस के राजा लुई चौदहवें ने हालैण्ड पर आक्रमण किया और हालैण्ड के डच-निवासियों ने अपने देश की रक्षा के लिए यह उचित समझा कि शासन-व्यवस्था में परिवर्तन कर दिया जाए। उन्होंने तनतंत्र को समाप्त कर दिया और ओरेज के राजकुमार विलियम को पूरे राज्य का प्रधान नियुक्त कर दिया। यही विलियम आगे चलकर इंग्लैण्ड के विलिमय तृतीय के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह इंग्लैण्ड के चार्ल्स प्रथम का नाती और विलियम द्वितीय का पुत्र था।

कार्नेलियस उन दिनों हालैण्ड की विधानसभा का सदस्य था। उसने जनतंत्र को समाप्त करने की योजना का विरोध किया। इसलिए लोग उसके विरुद्ध भड़क उठे। उसको कैद कर दिया गया। उस समय उसकी उम्र 49 वर्ष की थी। विलियम की उम्र 22 वर्ष की थी। कार्नेलियस का भाई जॉन उसका शिक्षक था। जब शासन-व्यवस्था बदली तो जॉन ने खुशी-खुशी नई व्यवस्था को स्वीकार कर लिया, लेकिन कार्नेलियस ने इसका डटकर विरोध किया। जॉन को प्रधानमंत्री बनाया गया, क्योंकि उसने नई शासन-व्यवस्था को स्वीकार कर लिया था। लेकिन इससे उसका कोई लाभ नहीं हुआ। कुछ ही दिनों बाद उसकी हत्या का षड्यंत्र हुआ और एक आदमी ने उसको छुरा मार दिया। इस हमले से उसकी जान तो नहीं गई, लेकिन वह बुरी तरह घायल हो गया।

जॉन जीवित बच गया, इससे उन लोगों को संतोष नहीं हुआ जो विलियम के पक्ष में थे और यह सोचते थे कि जब तक ये दोनों भाई इस देश में रहेंगे तब तक उनकी योजना सफल नहीं हो सकेगी। इसलिए उन्होंने अपनी चाल बदल दी। उन्होंने दोनों के विरुद्ध षड्यंत्र करना शुरू कर दिया।

इस षड्यंत्र में टाइकेलर नामक एक डॉक्टर भी शरीक था। उसने झूठी शिकायत दर्ज़ करा दी कि कार्नेलियस ने मुझको घूस दी है और राजकुमार विलियम की हत्या करने को कहा है।

जैसे ही राजकुमार के समर्थकों को यह शिकायत मिली, वे कार्नेलियस के खिलाफ भड़क उठे और 16 अगस्त को उसको गिरफ्तार करके जेल में ठूंस दिया गया। कार्नेलियस को जेल में खूब कष्ट दिया गया और उससे अपराध स्वीकार करने को कहा गया।

लेकिन कार्नेलियस बड़ा साहसी आदमी था। उसने एक भी बात स्वीकर नहीं की। वह चुपचाप सारी यातनाओं को सहता रहा। अन्त में हारकर न्यायाधीशों ने सज़ा सुनाई कि कार्नेलियस को सभी पदों से हटा दिया जाए, और उसको राज्य से बाहर निकाल दिया जाए।

उधर जब उसके भाई जॉन को इस अन्याय की खबर मिली तो उसने प्रधानमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया और वह एकान्त में रहने लगा। इस तरह राजकुमार विलियम का एकछत्र राज्य स्थापित हो गया। 20 अगस्त को कार्नेलियस को जेल से बाहर देश निकाला दिया जानेवाला था। लोग इसी लिए जेल खाने की तरफ दौड़े जा रहे थे कि देखें कार्नेलियस पर इस सज़ा का क्या असर पड़ा।

भीड़ में सबसे आगे-आगे वही धोखेबाज़ डॉक्टर टाइकेलर चल रहा था और लोगों को भड़काता जा रहा था। वह झूठ-मूठ लोगों को बताता जा रहा था कि किस तरह कार्नेलियस ने मुझको बहुत से रुपये दिए और राजकुमार की हत्या करने को कहा। जैसे-जैसे लोग उसकी कहानी सुनते थे, उनका गुस्सा बढ़ता जाता था और वे ज़ोर-ज़ोर से नारे लगाने लगते थे। लेकिन ज़ॉन भी इस समय चुप नहीं बैठा था। वह अपने एक नौकर के साथ घोड़ागाड़ी में बैठकर और लोगों की नज़र से बचते हुए जेलखाने के दरवाजे पर पहुँच गया। वहाँ पहुँचकर उसने जेलर से कहा, ‘‘देखो ग्राइफस, मैं अपने भाई को साथ ले जाने के लिए आया हूँ। तुम्हें तो मालूम है कि उसको देशनिकाले की सज़ा मिली है। मैं खुद उसको शहर से बाहर पहुँचा देना चाहता हूँ, क्योंकि लोगों की एक बहुत बड़ी भीड़ इधर आ रही है। बहुत मुमकिन है कि वे कार्नेलियस को मार डालने की कोशिश करें।’’

जेलर ने फाटक की खिड़की खोलकर जॉन को अन्दर ले लिया। जॉन जेलखाने में मुश्किल से कुछ दूर आगे बढ़ा होगा कि एक सुन्दर लड़की ने उसे नमस्कार किया। इस लड़की का नाम रोज़ा था और यह जेलर की बेटी थी। उसने उस कोठरी का रास्ता बता दिया जहाँ कार्नेलियस कड़ी यातना सहने के बाद अब पड़ा हुआ कराह रहा था।

जॉन ने कोठरी में जाकर देखा कि उसका भाई एक चौकी पर पड़ा था। उसकी कलाइयाँ तोड़ दी गई थीं और उंगलियों को कुचल दिया गया था। इस समय उसके घावों पर पट्टियाँ बाँध दी गई थीं, लेकिन फिर भी उसकी छाती और पीठ पर कोड़ों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे। कई जगह उसकी चमड़ी छिल गई थी। जब उसने अपने भाई जॉन को देखा तो इतने दर्द में भी उसका चेहरा खुशी से खिल उठा।

कार्नेलियस बोला, ‘‘भैया, मैं जानता था कि तुम ज़रूर आओगे। देखो, जनता को कितना बड़ा धोखा दिया गया है। हम लोग पक्के देशभक्त हैं और हमेशा जनता की सेवा की है; लेकिन कुछ षड्यंत्रकारियों ने जनता को हमारे खिलाफ भड़का दिया। उल्टे उन लोगों ने हम पर आरोप लगाया है कि हमने फ्रांस से समझौता किया है और अपने देश के साथ गद्दारी की है !’’

जॉन बोला, ‘‘ये लोग मूर्ख हैं। इन्हें पता नहीं कि ये क्या कर रहे हैं। मोसियो लुवा के साथ जो तुम्हारा पत्र-व्यवहार हुआ था वही इस बात का प्रमाण है कि तुमने हालैण्ड के लिए कितना बड़ा त्याग किया है और उसकी स्वतंत्रता और गौरव की रक्षा के लिए तुमने कितना बड़ा बलिदान किया है। अच्छा, यह तो बताओ, तुमने उन पत्रों का क्या किया ? क्योंकि हमारे दुश्मन हमारे पक्ष के उस आखिरी सबूत को नष्ट कर डालने की कोशिश करेंगे।’’

कार्नेलियस ने मुस्कराकर कहा, ‘‘भैया, तुम घबराओ मत ! चिट्ठियों का पुलिंदा मैंने अपने पोते बार्ले को संभालकर रखने के लिए दिया है। वह बहुत ही साहसी और निडर लड़का है। वह इस भेद को किसी को नहीं बताएगा।

लेकिन जॉन ने चिंतित स्वर में कहा, ‘ठीक है, लेकिन बार्ले पर तुम्हें इतना भरोसा नहीं करना चाहिए। आखिर वह है तो लड़का ही। हो सकता है कि उसके मुँह से कोई बात निकल जाए। ऐसा होने पर सबसे पहले उसी पर खतरा आएगा और उसका सर्वनाश को हो जाएगा। हमारे दुश्मन उसको ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे। इसलिए अच्छा तो यही होगा कि उसको कह दिया जाए कि वह पुलिंदे को जला डाले। मैं अपने साथ अपना नौकर लेता आया हूँ, उसी के हाथ में बार्ले के पास यह खबर भेज देनी चाहिए।

कार्नेलियस राजी हो गया। अचानक वह अपनी खिड़की से बाहर का दृष्य देखकर काँप उठा। बाहर हजारों की संख्या में लोग जमा हो गए थे और अपने हथियारों को उछाल-उछालकर चिल्ला रहे थे ‘‘देशद्रोहियों को मार डालो !’’

जॉन दौ़ड़ा-दौड़ा गया और फाटक के पास खड़े अपने नौकर को बुला लाया। कार्नेलियस ने बड़ी मुश्किल से हाथ में पेंसिल ली और अपने पोते के नाम एक चिट्ठी लिख दी। उसमें लिखा था, ‘‘बेटा, जिन चिट्ठियों को मैं तुम्हें सौंप आया था, उन्हें फौरन जला डालो। उनका तुम्हारे पास रहना बहुत खतरनाक है। अगर चिट्ठियाँ तुम्हारे पास पकड़ी गईं तो लोग तुम्हारी जान ले लेंगे और हम लोगों को भी ज़िन्दा नहीं छोड़ेंगे। उनको फौरन जला डालना।’’ यह लिखकर उसने नीचे अपने दस्तखत कर दिए। चिट्ठी नौकर को दे दी गई। फिर जॉन ने कहा, ‘‘अच्छा, उठो, कार्नेलियस, अब हम लोगों को यहाँ से चल देना चाहिए, वरना लोगों की भीड़ जेलखाने के फाटक को घेर लेगी।

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Paperback

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Language

Hindi

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Publishing Year

2018

Pulisher

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