Kavi Ne Kaha : Vishwanath Prasad Tiwari

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Kavi Ne Kaha : Vishwanath Prasad Tiwari

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190.00 155.00

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Author: Vishwanath Prasad Tiwari

Availability: 5 in stock

Pages: 144

Year: 2012

Binding: Hardbound

ISBN: 9789381467251

Language: Hindi

Publisher: Kitabghar Prakashan

Description

कवि ने कहा : विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

मेरी कविताओं में ऐसे शब्द, बिंब या प्रतीक अधिक हैं जो भोगते हुए या जूझते हुए मनुष्य से संबंधित है। मैं गरीब देहाती दुनिया से जाया हुं और मेरे शुरू के बीस वर्ष उस अनाथ साधनहीन मनुष्य के बीच गुजरे जिसे बार-बार अपमानित होते, यातनाएं सहते देखा है। मेरी कविताओं में ‘हत्या’ और उससे मिलती-जुलती शब्दावली में जो आतंक है, वह मेरे बालमन पर पडे प्रभावों की ही प्रतिक्रिया है। मेरी कविताओं में ‘अंधकार’ और ‘रात’ के बिंब भी अधिक हैं जो एक अनार मेरे अकेलेपन की अतृप्ति को व्यक्त करते है तो दूसरी खार उस अंधकारमय दबाव को जिसे आज का साधनहीन मनुष्य भोग रहा है।

मेरी कविताओं में पहाडी परिवेश अधिक मिलेगा। पहाड़ के प्रति मेरा गहरा आकर्षण है और मृत्यु-भय से आतंकित होते हुए भी मैंने पहाडी यात्राएं बहुत की हैं। हिमालय का परिवेश मेरी प्रेम कविताओं में कहीं-कहीं प्रेमिका के साथ एकाकार हो गया है। कुछ शब्दों के सदंर्भ से प्रयोक्ता और ग्रहीता के अर्थों में अंतर स्वाभाविक है। अपनी कविताओं के प्रसंग में कहूं तो उनमें ‘इतिहास’, ‘धारा’, ‘अंधकार’, ‘घाटी’, ‘जंगल’, ‘पहाड़’ आदि अनेक शब्द अपना विशिष्ट अर्थ रखते है।

‘बेहतर दुनिया के लिए’ और ‘आखर अनंत’ नामक संग्रहों की बहुत-सी समीक्षाएं प्रकाशित हो चुकी है। इन संग्रहों के बारे में अपनी ओर से सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि इनमें मेरी रचनात्मक भाषा परित्कृत हुई है और कविताओं को एक व्यापक परिप्रेक्ष्य मिला है। आत्मीय  का भी और लोक जा भी।

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Hardbound

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Language

Hindi

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Publishing Year

2012

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