Kavita Ka Prati Sansar (कविता का प्रति संसार)

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Kavita Ka Prati Sansar (कविता का प्रति संसार)

Kavita Ka Prati Sansar (कविता का प्रति संसार)

395.00 355.00

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Author: Nirmala Jain

Availability: 1 in stock

Pages: 123

Year: 2021

Binding: Hardbound

ISBN: 9788171191802

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

कविता का प्रति संसार

रचना, आलोचना का अनिवार्य संदर्भ भी होती हैं और उसके लिए चुनौती भी। दोनो के बीच सम्बन्ध स्थित्यात्मक न होकर गत्यात्मक होता है। पूर्ववर्ती और सहवर्ती साहित्य प्रतिमानों के निर्धारण के लिए आलोचना को आमंत्रित करता है और अनुवर्ती साहित्य अक्सर पूर्वनिर्मित प्रतिमानों की अपर्याप्तता का बोध जगाता है। हर महत्वपूर्ण रचना मूल्यांकन के प्रतिमानों की उपलब्ध व्यवस्था के बीच से अपने लिए प्रासंगिक प्रतिमानों की तलाश ही नहीं कर लेती, बल्कि नए प्रतिमानों के लिए आधार भी प्रस्तावित करती है। प्रतिमानों के सुर में शाश्वत कुछ नहीं होता। इस वास्तविकता का अहसास आलोचना को परमुखापेक्षी होने से बचाता है।

‘कविता का प्रति संसार’ रचनात्मक साहित्य वो संदर्भ की अनिवार्यता के अहसास से प्रेरित ऐसे ही आलोचनात्मक लेखों का सग्रह है। ‘समय-समय’ पर लिखे गए इन लेखों में निर्मला जैन ने गहरे सरोकार के साथ प्रखर शैली में प्रतिमानों का प्रश्न भी उठाया हुए और रचनाओं का विश्लेषण भी किया हैं। इन लेखों में वे मुद्दे उठाए गए हैं जो प्रतिमानों के संदर्भ में अक्सर सामने आते हैं। साथ ही आधुनिक हिंदी कविता की विशिष्ट उपलब्धियों को सर्वथा मौलिक दृष्टि से देखा-परखा गया है। इस संकलन का प्रमुख आकर्षण विषय का विस्तार और प्रतिमानों की विविधता है। यह पुस्तक रचना और आलोचना की सही पहचान कराती है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

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