Kavita Ki Jeevani

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Kavita Ki Jeevani

Kavita Ki Jeevani

250.00 188.00

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250.00 188.00

Author: A Arvindakshan

Availability: 5 in stock

Pages: 108

Year: 2024

Binding: Hardbound

ISBN: 9789362870582

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

कविता की जीवनी

अपने प्रदेश को, अपने आसपास को सुरक्षित रखने के बावजूद ए. अरविन्दाक्षन की कविताएँ लम्बी दूरी तय करके यात्रा करती प्रतीत होती हैं। उद्विग्नताओं को, चाहे वह जिस किसी की हो या जहाँ कहीं की हो उनके लिए वे मनुष्य की उद्विग्नताएँ हैं। उन्हें अनसुना नहीं किया जा सकता। अरविन्दाक्षन उन सारी बातों को शब्दित करना चाहते हैं जो जड़ संस्कृति के पर्याय हैं। मनुष्य विरोधी उन्मुखताओं के प्रति कवि अशान्त हो जाते हैं। यह अशान्ति उनकी बहुत सारी कविताओं में दर्ज है।

‘भाषा का मौन

ख़तरे को सूचित करता है।

कलिगुलाओं के डर से

भाषा यदि मौन साध रही है

तो उसका अर्थ है

भाषा मर रही है।’

अरविन्दाक्षन की कविताओं में इतिहास अपनी उपस्थिति दर्ज करता रहता है। वर्तमानता का अतीत और अतीत की वर्तमानता के बीच की आवाजाही उनकी कविताओं में होती रहती है। अतः उनका इतिहास बोध सशक्त है।

विजित होना

हमेशा विजित होते रहना

जीत नहीं है

दरअसल वह हार है।

हारते रहना

हमेशा हारते रहना

हारना नहीं

दरअसल वह जीत है।’

इस कवि की कविताएँ उस तीर्थ की खोज करती रहती हैं जहाँ से वे मनुष्यता का जलकण लाना और वितरित करना चाहती हैं। यही उनकी समय के साथ की सहवर्तित है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

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