Kumarikayein

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Author: Krishna Agnihotri

Availability: 5 in stock

Pages: 208

Year: 2010

Binding: Hardbound

ISBN: 9788188457632

Language: Hindi

Publisher: Samayik Prakashan

Description

कुमारिकाएं

क्या सारी जिंदगी को एक घटना के लिए त्यागा जा सकता है ? कैसी होती हैं वे स्थितियां जब जिजीविषा ही खत्म होने को तत्पर हो जाती है ?

क्या धर्म, शील और नैतिकता की कोई सर्वमान्य व्यावहारिक परिभाषा गढ़ी जा सकती है ? यदि समाज की संस्थाएं इतनी समर्थ नहीं हैं कि वे बेटियों को सुरक्षित रख सकें तो फिर उन्हें यह अधिकार कहां से मिला कि वे परिस्थितियों से लड़ती इन विवश लड़कियों का परिहास करें ?

वरिष्ठ कथाकार कृष्णा अग्निहोत्री का यह उपन्यास अनेक ऐसे प्रश्नों के साथ वस्तुस्थिति से भी परिचित कराता है। वह अपनी पुरजोर आवाज में पूछता है कि जब नैतिकता की परंपरावादी मान्यताएं खोखली साबित होती जा रही हैं तो फिर बेबुनियाद चीजों के लिए व्यक्ति का गला क्‍यों घोंटा जा रहा है ?

कथा में उठी कुमारिकाओं की यह आवाज बता रही है कि अब वे संघर्ष का रास्ता पकड़ चुकी हैं और किसी सूरत में पीछे नहीं हटने वालीं।

वर्तमान परिस्थितियों में यह पठनीय उपन्यास और भी प्रासंगिक हो उठा है।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2010

Pulisher

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