Mahakavi Bhas Ka Natya Vaishishtya

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Mahakavi Bhas Ka Natya Vaishishtya

Mahakavi Bhas Ka Natya Vaishishtya

575.00 465.00

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Author: Bharatratna Bhargva

Availability: 5 in stock

Pages: 352

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9788196234737

Language: Hindi

Publisher: Setu Prakashan

Description

महाकवि भास का नाट्य वैशिष्ट्य

ब यह सर्वमान्य तथ्य है कि सम्पूर्ण संस्कृत नाट्य वाङ्मय में महाकवि भास का योगदान अप्रतिम और अनन्य है। यह अकारण नहीं था कि लगभग आठ शताब्दियों के दीर्घकाल तक वे संस्कृत विद्वानों, आचार्यगणों और शोधार्थियों की दृष्टि से ओझल रहे। बीसवीं सदी के आरम्भ में ही उनका नाट्य साहित्य फिर से प्रकाश में आया और अल्प समय में ही वे शास्त्रीय नाट्य के पण्डितों, अनुसन्धानकर्ताओं तथा मनीषियों के मध्य गम्भीर चर्चा का विषय बन गये। यद्यपि उनके नाट्य साहित्य पर लेखादि तो बहुत प्रकाशित हुए, तथापि उनके समस्त रचनाकर्म का पर्याप्त विवेचन-विश्लेषण नहीं हो सका। कतिपय संस्कृत विद्वानों ने उनके नाट्य- साहित्य के लिए पाश्चात्य नाट्य सिद्धान्तों को निकष बनाया, जिससे वे युवा पीढ़ी के रंगकर्मियों के लिए दुरूह हो गये। उनके नाटकों का अनुवाद भी अधिकांशतः गद्यात्मक रहा, जिसके परिणामस्वरूप उनके नाटकों का प्रस्तुतीकरण भी यथार्थवादी शैली में हुआ। दूसरी ओर उनके नाट्यकर्म पर समीक्षात्मक ग्रन्थों का अत्यन्त अभाव रहा है। प्रस्तुत पुस्तक उसी अभाव की ओर इंगित करने का विनम्र प्रयास है। भास के सभी तेरह नाटकों पर दिये गये व्याख्यानों को लगभग उसी रूप में प्रस्तुत करने का औचित्य भी यही है। इस विमर्श में अनेक संस्कृत विद्वानों, शोधार्थियों तथा रंगकर्मियों के विचारों, जिज्ञासाओं और प्रश्नों को यथासम्भव उसी रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इसी व्याख्यान माला ने उनके समग्र नाटकों के हिन्दी पद्यात्मक पाठान्तरों के प्रकाशन की राह प्रशस्त की। अतः यह पुस्तक तथा भास नाट्य-समग्र एक दूसरे के पूरक ग्रन्थ हैं। सम्भवतः ये दोनों पुस्तकें भारतीय शास्त्रीय नाट्य के विद्वानों, शोधार्थियों तथा प्रयोक्ताओं को इस विषय पर विचारोत्तेजक सामग्री दे पायें, यह आशा है।

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Paperback

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

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