Naagphani Van Ka Itihas

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Naagphani Van Ka Itihas

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150.00 149.00

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Author: Vairamuthu translated H. Balasubramaniam

Availability: 5 in stock

Pages: 252

Year: 2017

Binding: Paperback

ISBN: 9788126053674

Language: Hindi

Publisher: Sahitya Academy

Description

नागफनी वन का इतिहास

बीसवीं सदी के विश्व भर के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में अन्यतम एवं साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत तमिळ उपन्यास कल्लिकाट्टु इतिहासम का हिंदी अनुवाद है। यद्यपि यह कृति उपन्यास शैली में रचित है, इसके लेखक वैरमुत्तु ने जान-बूझकर इसके नामकरण में इतिहास शब्द जोड़ा है। भारतीय चिंतन और परंपरा में इतिहास का अर्थ गहन गंभीर है और भारतीय संकल्पना का इतिहास निश्चित रूप से पाश्चात्य संकल्पना की ‘हिस्ट्री’ से भिन्‍न है। इतिहास वह है जिससे अगली पीढ़ियों को जीवन की शिक्षा मिलती है, मानवता की महत्ता सिद्ध होती है। नागफनी वन का इतिहास सही माने में भोले-भाले भारतीय किसान का इतिहास है जो आए दिन के अनगिनत कष्टों और चुनौतियों से जूझते हुए भी हारना नहीं जानता। प्रकृति, पर्यावरण, खेत, मिट्टी और पशु उसके लिए प्राणों से अधिक प्यारे हैं। इस उपन्यास में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से लेकर तीन पीढ़ियों का इतिहास प्रच्छन्‍न रूप से चित्रित है। नाना पेयत्तेवर, जो पुरानी पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं, आज़ादी के समय के पूर्वजों की भाँति परिश्रमी, अनपढ़ होते हुए भी जीने की कला और लोक व्यवहार में इतने कुशल हैं कि तथाकथित पढ़े-लिखे अधिकारी भी इनके व्यावहारिक ज्ञान के आगे मात खा जाते हैं। बीच की पीढ़ी के प्रतिनिधि चिन्नु जैसे लोगों को परिश्रम किए बिना फल प्राप्ति के इच्छुक के रूप में दिखाया गया है जो अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए अवैध काम करने से नहीं हिचकते। तीसरी पीढ़ी का मोक्‍कराजु आज की नई पीढ़ी की तरह जिज्ञासु और अध्यवसायी है।

उपन्यास का केंद्रबिंदु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पंचवर्षीय योजना के तहत मदुरै जिले की वैगै नदी पर बाँध बनाने की घटना है जिसके चलते 12 गाँवों को खाली किया जाना है। यह उपन्यास उन साधनहीन शरणार्थियों की करूण-कथा का हृदय द्रावक चित्र खींचता है जिनके घर और ज़मीन पानी के नीचे डूब गए थे। लेखक उस समय ऐसे परिवार में जन्मे बालक थे जो अपने बचपन में इन सारी यातनाओं के भोक्‍ता और साक्षी थे। यह कहानी गाँव की भोली-भाली जनता के आँसू, खून और वेदना का दर्दनाक चित्र उकेरती है जिनके परिवार आधुनिकीकरण के नाम पर मशीनों से कुचले जाने के लिए अभिशप्त हैं।

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Authors

ISBN

Binding

Paperback

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2017

Pulisher

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