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Description
नाचता अध्यात्म
नाचता अध्यात्म दीक्षित जी के पाठकों की संख्या बहुत बड़ी है। उनके लेखन से प्रेरित और प्रभावित लोग भी बहुत बड़ी संख्या में हैं। आज की राजनीति में चंद लोग ही हैं जिन्हें तत्वदर्शी, चिन्तक, साहित्य मनीषी और भारतीयता का भाष्यकार कहा जा सकता है। उनमें ही एक कुशल राजनेता श्री हृदयनारायण दीक्षित हैं। उन्होंने अपने गम्भीर अध्ययन और मनन के बल पर अपने लेखन में भारतीय वाङ्गमय का सहज और समकालीन निचोड़ प्रस्तुत किया है।
यह ग्रन्थ वैदिक दर्शन की आधुनिक मीमांसा, राष्ट्रीय और सांस्कृतिक बोध, परम्परा की निरन्तरता और उसके प्रवाह का साहित्य प्रस्तुत करता है।
वर्तमान पीढ़ी का यह सौभाग्य है कि दीक्षित जी का वाङ्गमय उपलब्ध हो रहा है। पुस्तक में शास्त्र, पुराण और भारतीय इतिहास (पुराणेतिहास) का संगम है। जिसमें पाठक डुबकी लगाये तो उसे अपने जीवन को कृतार्थ करने का संकल्प प्राप्त होगा।
इसे जो पढ़ेगा वह भारतीय संस्कृति को समझेगा, जानेगा और चाहे तो आत्मसात भी कर सकता है। जानना ही वास्तव में जीवन का परमार्थ होता है।
अवश्य ही नयी पीढ़ी इस पुस्तक से वह प्राप्त कर सकेगी जिसकी आज आज़ादी के अमृत महोत्सव में खोज है। दीक्षित जी की इस पुस्तक से चिन्तन को नयी दिशा और शक्ति मिलेगी, जो ज्ञान की होगी।
-रामबहादुर राय अध्यक्ष, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र नयी दिल्ली
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
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