Nadi

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495.00 375.00

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Author: Usha Priyamvada

Availability: 4 in stock

Pages: 171

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126725281

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

नदी
‘बस—बहने दो जीवन सरिता को कहीं-न-कहीं—जल्दी या देरी से—कोई-न-कोई हल तो निकलेगा।’ यही सूत्र है ‘नदी’ उपन्यास का। हिन्दी कथा-साहित्य में अविस्मरणीय ख्याति प्राप्त कर चुकीं उषा प्रियम्वदा का यह नया उपन्यास पठनीयता का पुनर्नवन है। नियति, अबूझ जीवन, प्रारब्ध—क्या नाम दें उस घटनाक्रम को जो ‘नदी’ की नायिका आकाशगंगा को जाने किस-किस रूप में कहाँ-कहाँ से विस्थापित करता है। विदेश में निवास करती आकाशगंगा पुत्र भविष्य की मृत्यु के लिए इस सीमा तक अपने पति द्वारा उत्तरदायी मानी जाती है कि परिवार से विच्छिन्न कर दी जाती है। पति गगनेन्द्र दो बेटियों सहित भारत आ जाते हैं। यहीं से एकाकी छूट गई आकाशगंगा का संघर्ष प्रारम्भ होता है। वह अर्जुन सिंह और एरिक के प्रगाढ़ सम्पर्क में आती है। भारत लौटकर सास-ससुर, बेटियों की आत्मीयता में घिरने लगती है कि एक प्रायः अप्रत्याशित स्थिति उसे दूरदेश ले आती है। प्रवीण दम्पति के साथ रहकर गंगा जीवन का नया अध्याय शुरू करती है। और एरिक के साहचर्य से उत्पन्न उसका बेटा स्तव्य स्टीवेन ! आकाशगंगा अपने जीवन प्रवाह में जिन ऊँचाइयों, गहराइयों, मैदानों, घाटियों, संकीर्ण पथों प्रशस्त पाटों से गुजरती है उन्हें उषा प्रियम्वदा ने जीवन्त कर दिया है।

उषा प्रियम्वदा ने आकाशगंगा के बहाने स्त्री-जीवन के कटु-कठोर यथार्थ का मार्मिक चित्रण किया है। भाषा और शैली के लिए तो वे अलग से पहचानी ही जाती हैं। ‘नदी’ जीवन-प्रवाह का ऐसा दृश्य…जिसमें अदृश्य के अँधेरे देर तक चमकते रहते हैं।

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Hardbound

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Publishing Year

2022

Pulisher

Language

Hindi

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