Panchdashee

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Panchdashee

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Author: Nandlal Dashora

Availability: 5 in stock

Pages: 494

Year: 2015

Binding: Paperback

ISBN: 0

Language: Hindi

Publisher: Randhir Prakashan

Description

श्री विद्यारण्य मुनि द्वारा रचित

पञ्च्दशी

मूल एवं अनुवाद

तत्वबोध के बाद शास्त्रीय द्वैत को छोड़ ही देना चाहिए। मेधावी पुरुष शास्त्रों को पढ़े, उनका बार-बार अभ्यास करे, जब परब्रह्म को पहचान ले उसके बाद मार्ग देखकर निकम्मी उल्का के समान उन्हें तुरन्त फेंक दे।

साधक जब ग्रन्थों के अभ्यास से ज्ञान-विज्ञान में तत्पर हो जाये तो फिर मेधावी पुरुष ग्रन्थों को परित्याण कर दे। ग्रन्थ तो हमें इस मार्ग तक पहुँचा देने के लिए थे। इस परमपद को देखकर भी ग्रन्थों में फँसे रहना है तो ऐसा है जैसे पार जाकर भी नाव से कोई उतरना ही नहीं चाहता हो। धीर ब्राह्मण उसी आत्मतत्त्व को जानकर बुद्धि को सदा तदाकार बना डाले। शास्त्रों की खटपट पर बहुत सी बातों की उलझन में न फँसा रह जाये, क्योंकि यह वाणी की कोरी कसरत ही तो है।

– पंचदशी (द्वैतविवेक प्रकरण 45-46-47)

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Binding

Paperback

Authors

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2015

Pulisher

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