Pashchatya Kavyashastra

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Pashchatya Kavyashastra

Pashchatya Kavyashastra

495.00 460.00

In stock

495.00 460.00

Author: Tarak Nath Bali

Availability: 5 in stock

Pages: 328

Year: 2011

Binding: Hardbound

ISBN: 9789350004951

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

काव्य मानव की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि ही नहीं एक सार्वभौम सत्य भी है। देश और काल की सीमाओं का अतिक्रमण करता हुआ यह काव्य ही आज के विषम एवं तनावपूर्ण मानव-जीवन की एकता, समानता एवं निरन्तरता का दस्तावेज़ है। मानवीय संवेदना के इस सर्जनात्मक दस्तावेज़ को समझने-समझाने का प्रयास शताब्दियों से होता आ रहा है। काव्यशास्त्र में विद्यमान विविधता के बीच भी एक निरन्तरता लक्षित होती है जो उसे मानवीय संवेदना एवं सौन्दर्य-भावना की निरन्तरता से प्राप्त होती है।

‘पाश्चात्य काव्यशास्त्र’ हिन्दी का प्रथम ग्रन्थ है जिसमें प्लेटो से इलियट तक महत्त्वपूर्ण पाश्चात्य काव्य समीक्षकों के विचारों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में गम्भीर एवं विशद विश्लेषण किया गया है। इन आचार्यों के में विद्यमान उन सत्रों को भी रेखांकित किया गया है जो काव्यशास्त्र के विकासात्मक अध्ययन की संगति एवं उपयोगिता के व्यंजक हैं। साथ ही पश्चिम के प्रमुख काव्य सिद्धान्तों एवं वादों की समीक्षा भी की गयी है। प्रत्येक विचार के विवेचन की दो दृष्टियाँ रही हैं-एक, उस विचार के स्वरूप के स्पष्टीकरण की दृष्टि-दो, उस विचार की आधुनिक प्रासंगिकता की पहचान की दृष्टि। भारतीय काव्यशास्त्र की परम्परा भी अत्यन्त समद्ध है। क्योंकि काव्यशास्त्र भारतीय एवं पाश्चात्य दोनों का स्रोत काव्य एवं मानव-जीवन है, इसलिए यह स्वाभाविक है कि विविध देशों एवं कालों के काल-चिन्तन में भिन्नता के साथ-साथ समानता भी हो।

इस ग्रन्थ में पाश्चात्य काव्यशास्त्र के विविध विचारों की समीक्षा करते हए भारतीय काव्य-चिन्तन से उसकी समानता या विरोध की चर्चा भी की गयी है। ये संकेत-सूत्र काव्यशास्त्र के क्षेत्र में गम्भीर शोध की दिशाओं के व्यंजक बन जाते हैं और साथ ही यहाँ तुलनात्मक काव्यशास्त्र की भूमिका भी देखी जा सकती है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2011

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