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Description
पाठ सम्पादन के सिद्धान्त
प्राचीन कवियों के पाठों का जैसा वैज्ञानिक सम्पादन चाहिए, वैसा हिंदी में कम हुआ है। जायसी और तुलसी के पाठ-सम्पादन के महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। अन्य कवियों के पाठों के अभी इतने संतोषजनक परिणाम नहीं मिले हैं। भाषा विषयक शोध, ऐतिहासिक शोध तथा रचनाकार की साहित्यिक सैद्धांतिक समालोचना के लिए सर्वप्रथम उसकी रचना का मूलपाठ स्थिर होना आवश्यक होता है। इस पुस्तक में पाठ-सम्पादन के सिद्धांत और अन्य सहायक विषयों की चर्चा की गयी है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2008 |
Pulisher |
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