Hindi Pathanusandhan

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Hindi Pathanusandhan

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250.00 210.00

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250.00 210.00

Author: Kanhaiya Singh

Availability: 2 in stock

Pages: 208

Year: 2011

Binding: Hardbound

ISBN: 9788180315879

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

हिन्दी पाठानुसंधान

‘हिन्दी पाठानुसंधान’ का यह दूसरा संस्करण है। ऐसे शुष्क विषय की पुस्तक का दूसरा संस्करण होना इस बात का प्रमाण है कि यह पुस्तक पाठानुसंधान के क्षेत्र के विद्यार्थियों द्वारा पसंद की गयी। कई विश्वविद्यालयों में एम्. ए. के विशेष प्रश्न-पत्र में पाठालोचन पढ़ाया जाता है तथा हिंदी एम्.फिल में इसका एक अनिवार्य प्रश्न-पत्र है। इस शोध-ग्रन्थ में हिंदी संपादन का इतिहास मुद्रण के पूर्व से आधुनिक काल तक दिया गया है। पांडुलिपियों के लेखक भी अपने ढंग से कई प्रतियों का मिलान और पाठांतर देते थे। मुद्रण प्रारंभ होने पर पहले तो पाण्डुलिपि को जैसा का तैसा छाप देना प्रारंभ हुआ और बाद में विद्वानों ने उपलब्ध सभी प्रतियों में से सबसे उपयुक्त लगने वाला पाठ देते थे।

ग्रियर्सन के समय से यह कार्य परिश्रमपूर्वक संपादन में देखा गया और बहुत सी कृतियाँ सुन्दर पाठ की सामने आई। 1942 से डॉ. माता प्रसाद गुप्त ने पश्चिमी देशों की वैज्ञानिक पद्धति से पाठ-संपादन का कार्य शुरू किया और अनेक विद्वानों ने इसे अपनाया भी। इन सभी महत्वपूर्ण संपादनों का आलोचनात्मक अध्ययन इस पुस्तक में किया गया है। आचार्य विश्नाथ प्रसाद मिश्र ने इसके सम्बन्ध में लेखक को पत्र लिखा था कि इस दिशा में हिंदी में बहुत कम काम हुआ है, आपने एक अभाव की पूर्ति की है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2011

Pulisher

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