Prarthana Ke Bahar Aur Anya Kahaniyan

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Prarthana Ke Bahar Aur Anya Kahaniyan

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125.00 105.00

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Author: Geeta Shree

Availability: 5 in stock

Pages: 148

Year: 2013

Binding: Paperback

ISBN: 9789350725351

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

प्रार्थना के बाहर और अन्य कहानियाँ

गीताश्री ने जब कहानियाँ लिखने के लिए अपनी कलम उठाई, तब भारत की उन स्त्रियों के बारे में चर्चा की जो शहरी मध्यवर्ग से दूर गाँव देहात में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। जहां स्त्री विमर्श शहरी जड़ता का शिकार होता चला जा रहा है, वहीं दूसरी और गीताश्री उन संवेदनाओं पर रोशनी डालती हैं जो कि न किसी बड़ी फिल्म, न लोकप्रिय उपन्यास और न ही किसी छायावाद का हिस्सा बन पाये।

गीता श्री एक निर्भय आवाज़ हैं जो लिखने के लिए किसी स्त्री वैमर्शिक उत्तर आधुनिकतावाद के मार्ग दर्शन का इंतज़ार नहीं करती। आप वही लिखती हैं जो जीवन की मान्य सच्चाई से परे है, बने बनाये संबंधों से अलग है, आध्यात्म से आगे है, ‘प्रार्थना के बाहर’ है। गीताश्री की कहानियाँ स्त्री की कहानियाँ हैं, लेकिन प्रचलित अर्थों में नहीं। ‘प्रार्थना के बाहर और अन्य कहानियाँ’ की कहानियों की नायिकाएँ पराधीनता का दुःख नहीं स्वाधीनता का सुख चुनती हैं, बनी बनायी सीमाओं को तोड़ती हैं तो खुद अपनी सीमाएँ भी बनाती हैं। ये उत्तर-आधुनिक स्त्रियाँ हैं जिनके जीवन में कैरियर की कशमकश, जीवन का तनाव है लेकिन घुटन नहीं है। वे अपनी पहचान अपनी शर्तों पर बनाना चाहती हैं, अपना खुद का मुकाम बनाना चाहती हैं। समकालीन स्त्रियों के जीवन के जद्दोजहद को समझना है तो गीताश्री की कहानियों से गुजरना ‘मस्ट’ है।

यह कहानियाँ केवल महानगरीय जीवन जीने वाली स्त्रियों की कहानियाँ नहीं हैं, उनमें ग्रामीण स्त्रियाँ हैं, कस्बाई युवतियाँ हैं, समाज के अलग-अलग तबकों की स्त्रियाँ हैं। जो पितृसत्तात्मक समाज की दीवारों पर बड़े साहस से दस्तक देती हैं, बिना किसी शोर-शराबे के। यह कहानियाँ सतायी गयी स्त्रियों की कहानियाँ नहीं हैं, न ही वे स्त्री मुक्ति का घोषणापत्र बनाती हैं बल्कि स्त्री जीवन की विडम्बनाओं को पूरी शिद्दत से सामने लाती हैं। ये कहानियाँ नहीं बदलते समाज की कुछ दास्तानें हैं, आने वाले समय में जिनकी ऐतिहासिकता सिद्ध होगी।

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Authors

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2013

Pulisher

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