Puratan Kathein

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Puratan Kathein

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100.00 99.00

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Author: Swami Avdheshanand Giri

Availability: 9 in stock

Pages: 160

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9788131008096

Language: Hindi

Publisher: Manoj Publications

Description

पुरातन कथाएं

पुराणों में कथाओं की प्रमुखता है। कहीं पर जब ये कथाएं किसी घटना विशेष का वर्णन करती हैं, तब इनका समावेश तत्कालीन इतिहास में होता है। लेकिन कहीं पर अपनी बात को समझाने के लिए प्रतीक रूप में भी इन्हें कहा गया है। ऐसे स्थानों पर ये ’दर्शन’ का रूप हो जाती हैं। ये कथाएं व्यावहारिक सत्य को उजागर करने के साथ ही पारमार्थिक सत्य का भी विवेचन करती हैं। जीवन में दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। जीवन यात्रा इन दोनों पंखों और दो पहियों पर ही आगे बढ़ती है।

भारतीय मनीषियों ने ’श्रुति’ अर्थात वेद को ही सर्वोच्च प्रमाण माना है। पुराणों को वे उसकी सरल व्याख्या कहते हैं। लेकिन खेद है कि कुछ विद्वानों ने इन्हें ’मनगढंत’ कह कर नकार दिया है। इसका परिणाम अत्यंत विपरीत हुआ। लोग वेदों का अध्ययन कर नहीं पाए और इस पारंपरिक आस्था से वे दूर चले गए। आज की ’नास्तिकता’ काफी हद तक इसी का परिणाम है। ऐसे में स्वामी विवेकानंद के ये शब्द स्मरणीय हैं-’नए घर का निर्माण कर लो, उसकी मजबूती को परख लो, तब पुराने को तोड़ो। कहीं ऐसा न हो कि पुराना तोड़ लो और नए का निर्माण ही न कर पाओ तथा जीवन बिना छत के निकल जाए। यह स्थिति जीवित मृत्यु सरीखी होगी।’

पुस्तक में दी गई कथाएं आपको संस्कृति की झलक देने के साथ ही जीवन के संदर्भ में कुछ नया सोचने को विवश करेंगी, ऐसा विश्वास है।

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Authors

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

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