Rachna Ka Antrang

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Rachna Ka Antrang

Rachna Ka Antrang

400.00 330.00

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400.00 330.00

Author: Devendra

Availability: 5 in stock

Pages: 167

Year: 2020

Binding: Hardbound

ISBN: 9788194272984

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

रचना का अंतरंग

अर्थशास्त्र जानने वाले कहते हैं कि गाँव की तरक्की हो गई है। समाजशास्त्र के विद्वान कहते हैं कि रिश्तों में दरार आ गई है। गाँव के लोग कहते हैं कि अब वह बात नहीं रहीं। बहुत उदास-उदास लगता है। यहाँ रहने का मन नहीं होता। लब्बोलुबाब यह कि इतनी उदास, मनहूस और क़र्ज़ में डूबी तरक्की। बैंकों की मदद से हमारे गाँव में तीन लोगों ने ट्रैक्टर ख़रीदे और तीनों के आधे खेत बिक गए। ट्रैक्टर औने-पौने दाम में बेचने पड़े। पता नहीं क़र्ज़ चुकता हुआ कि नहीं ? पंचायती राज में लोकतंत्र को गाँवों तक ले जाने का कार्यक्रम बना। फिर तो, अपहरण, हत्याएँ और मुकदमेबाज़ी। सारे के सारे गाँव थानों और कचहरियों में जाकर क़ानून की धाराएँ रटने लगे।…

— ‘अस्सी की एक शाम’ से

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Authors

Binding

Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

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